प्रतिदिन कविता?

प्रतिदिन कविता?

प्रत्येक दिन कविता…….?

कविता केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से उपजा भावप्रवाह होती है। कवि जब कविता रचता है, तो वह अपनी अनुभूतियों, संवेदनाओं और विचारों को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता है। इस प्रक्रिया में भाव की प्रधानता होती है, क्योंकि कविता में वही सच्ची शक्ति होती है जो पाठक या श्रोता के हृदय को स्पर्श कर सके।

परंतु यह भाव हर दिन, हर क्षण एक समान रूप से जाग्रत नहीं होता। मनुष्य की भावनाएँ समय, परिस्थिति और अनुभवों पर निर्भर करती हैं। कुछ क्षण ऐसे होते हैं जब हृदय अत्यंत संवेदनशील होता है — कोई स्मृति, दृश्य, अनुभूति या पीड़ा कवि के अंतर्मन को झकझोर देती है और उसी क्षण कविता जन्म लेती है। इसीलिए कवि हर दिन कविता नहीं लिख सकता, जब तक किउसका मन भावविभोर न हो।

इस तथ्यात्मक सत्यता से यह स्पष्ट होता है कि कविता का जन्म केवल बौद्धिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मिक प्रेरणा से होता है। अतः कविता को केवल अभ्यास या अनुशासन से नहीं, प्रबल भावजागृति से ही सृजित किया जा सकता है।
कोई कहता है कि अद्यावधि मुझे कविता लिखने का ज्ञान नहीं था एवं अमुक के कहने पर लिखने लगा हूं यह सब मिथ्या है। जबकि वास्तविक तथ्य यह है कि आप में कवित्व की सत्ता पूर्व में ही थी, आपने शान्त एकान्त में कभी उसको प्रकट भी किया होगा बस किसी ने आपको किञ्चित् प्रेरित किया और सुप्तकवनसंस्कार जाग्रत हो गए। कवि कभी बनाए नहीं जाते……..

रचनाकार
महेश शास्त्री

प्रस्तुति