स्वस्थ जीवन
स्वतंत्र (दोहा)
ब्रह्म मुहुर्त सदा उठो,प्राणवायु शुद्ध होय।
मिले सफ़लता शीघ्र ही,रहै न पीछे कोय।।
प्रातः उठकर जो करे,नित्य प्राणायाम।
स्वस्थ स्वास्थ्य बना रहै,नहीं लगे कुछ दाम।।
पेदल चलना शौक से,हरी-भरी हो घास।
ठंडी-ठंडी ओस की,चमकी बूंदें खास।।
ताम्रपत्र जल पीजिए,दमके स्वस्थ शरीर।
अदरक लौंग इलायची,दूर करे सब पीर।।
भोजन करके जो चले,सौ कदम हर रोज।
स्वस्थ शरीर सदा रहे,होती सबकी मौज़।।
संतुलित भोजन ही करें,नियमित करना सैर।
प्राणवायु प्रभात में,रुके कभी ना पेर।।
कपालभांति कीजिए,गहरी सांसें लेय।
योग हमेशा रोग हरे,कभी कष्ट ना देय।।
नींबू पानी पीजिए,दिन की हो शुरुआत।
स्वच्छ-स्वस्थ शरीर हो,सुखी रहें दिन-रात
‘नायक’ बाबूलाल नायक
टोंक (राज.)