शबरी कुटिया एक बनाकर रहती राम द्वार आयेंगे कहती। राह ताकती शबरी दिखती राम नाम रटती ना थकती। चित्र परिचय - अनंत पांडे के इंस्टाग्राम पेज से साभार फल लाने…
🐤कहाँ खो गयी गौरैया? डाली-डाली नीम की खाली, कहाँ खो गयी गौरैया? चीं-चीं-चीं-चीं करती उड़ती, भूरी-चितकबरी गौरैया।। सूनी पड़ी अटारी मेरी, दाना-पानी अटा पड़ा।💧 नीड़ पुराना बना बनाया, छज्जों के…
भूमिका नशा कितना घातक हो सकता है उस सबको ध्यान में रखकर प्रख्यात कवि श्री बाबूलाल नायक ने वर्तमान में युवाओं को दुखती रग को छेड़ते हुए स्थितियों को स्पष्ट…
बान्ध ‘परिण्डे’ डाली-डाली,चहक रही है,चिड़ियाँ काली। फुदक-फुदक कर,चीं-चीं-चीं करती,आँगन बीच रेत में नहाती। चोंच मारती, पंख खुजलाती, बैठ डाल पर, गीत सुनाती। कभी इधर उड़े, कभी उधर उड़े, तिनका-तिनका, ले…
साहित्य मंच, टोडारायसिंह जिला टोंक के तत्वावधान में डा. सूरज सिंह नेगी (वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, जयपुर) की मुहिम 'पाती अपनों को' के तहत अखिल भारतीय स्तर की पाती लेखन प्रतियोगिता…
नशीले जाल में उलझा हुआ है नौजवां मेरा। भटकते आज मंजिल से, होगा हाल क्या तेरा? इन्हें रास्ता है दिखलाना, यही ईमान है मेरा। नशीले जाल से सुलझे, यही अरमान…