काव्य संध्या

काव्य संध्या

प्रेस विज्ञप्ति
स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश गौड़ (प्रवासी) जी की पुण्यतिथि पर भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

मेरठ, 5 अप्रैल 2025 — साहित्य प्रेमियों के लिए एक गरिमामयी एवं स्मरणीय अवसर के रूप में, स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश गौड़ (प्रवासी) जी की पुण्यतिथि के पावन अवसर पर एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य स्वर्गीय प्रवासी साहित्यकार की स्मृति को नमन करना एवं हिंदी साहित्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का संकल्प दोहराना रहा।

कार्यक्रम का आयोजन स्थल मेरठ के प्रमुख स्थान चेंबर ऑफ कॉमर्स (दिल्ली रोड, रोडवेज के सामने) पर स्थित था, जहाँ देशभर से पधारे वरिष्ठ कवियों एवं साहित्यप्रेमियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का शुभारंभ 5 अप्रैल 2025, शनिवार को सायं 6:00 बजे किया गया।

इस अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे डॉ. वेद प्रकाश बटुक जी, और संचालन का उत्तरदायित्व निभाया श्री सुमनेश सुमन जी एवं अतुल दीक्षित जी ने।

विशिष्ट आमंत्रित कविगण:

  • श्री हरिओम पंवार जी — जनप्रिय वीर रस कवि
  • श्री सत्य पाल सत्यम जी — प्रख्यात मंचीय कवि
  • श्री ओमकार गुलशन जी
  • श्री पोपुलर मेरठी जी
  • डॉ. सुधाकर आशावादी जी
  • श्रीमती तुषा शर्मा जी
  • श्री सुमनेश सुमन जी — संयोजक
  • प्रवासी साहित्यकार अतुल दीक्षित जी — संयोजक

इन वरिष्ठ रचनाकारों ने अपने ओजस्वी, मार्मिक, और भावप्रवण काव्यपाठ से सभा को अभिभूत कर दिया।

श्री हरिओम पंवार की रचना इस प्रकार थी –

“पैरों में अंगारे बांधे सीने में तूफान भरे
आंखों में दो सागर आंजे
कई हिमालय शीश धरे
मैं धरती के आंसू का संत्रास नहीं तो क्या गांवों
खूनी तालिबानों का इतिहास नहीं तो क्या गाऊँ 
आगामी तूफानों का आभास नहीं तो क्या गाना
दुनिया के दादाओं का उपहास नहीं तो क्या गाना”

ओंकार गुलशन की कविता

“दर्द इक पल को भी न सोया है।

आँसुओं से बदन भिगोया है।

इक फकत आँख ही नहीं रोयी,

जिस्म का रोम रोम रोया है।।”

हास्य व्यंग्य के हस्ताक्षर डॉ. सुधाकर आशावादी की कविता

“इससे पहले कि बड़ा फ्रिज आए ।

कोई प्रिय कहीं से ड्रम लाए।

सीमेंट का कट्टा भी अपने संग लाए ।

सतर्क होकर के रिश्ता तोड़ आओ,

सावधान रहो अपनी जान बचाओ।”

सत्यपाल ‘सत्यम’ का कलाम था –
“वह जो बड़ा मदरसा है कब्जा है दबंगों का 

वह घर भी हमारा है वह घेर हमारा है 

कुछ बड़े कवि जो है चोरी की भी पढ़ते हैं 

वह गजल हमारी है वह शेर हमारा है”

तुषा शर्मा जी की कविता इस प्रकार थी –

“वक्त के साथ जो मुश्किल कोई टल जायेगी।

इसका मतलब नहीं तकदीर बदल जाएगी।

सोचकर आप अगर देंगे मुहब्बत का जवाब,

इतने अरसे में तो दुनिया ही बदल जायेगी।”

कार्यक्रम में श्रोताओं ने देशभक्ति, सामाजिक सरोकारों, मानवीय संवेदनाओं एवं हास्य-व्यंग्य से भरपूर कविताओं का रसास्वादन किया।

संयोजक मंडल:

  • श्री जितेन्द्र जैन — 9719412810
  • श्री अमन सिंघल — 8476847538

आयोजक संस्था:

स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश गौड़ (प्रवासी) स्मृति न्यासी, जो प्रवासी भारतीय साहित्य संगम, न्यूयॉर्क (भारत शाखा) से सम्बद्ध है, ने इस पूरे आयोजन की जिम्मेदारी का सफल निर्वहन किया।

न्यासीगण में सम्मिलित हैं:
सुषमा गौड़, डॉ. चंद्रशेखर कौशिक, प्रतिभा भारद्वाज, डॉ. राकेश भारद्वाज, राधा पांडे, राकेश गौड़।

आयोजनकर्ता मंडल

राजीव गुप्ता (काले पार्षद), अनिल वर्मा (पार्षद), विकास मित्तल, केशव गोयल, ललित शर्मा, मोहित गौड़, अवनीत शर्मा, दीपक राजपूत, अंकित सिंघल, ज्ञानेन्द्र शर्मा, मनीष शर्मा।

कार्यक्रम का उद्देश्य केवल श्रद्धांजलि अर्पण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह मंच प्रवासी हिंदी साहित्य के योगदान की पुनः स्मृति दिलाने का माध्यम बना।

संपूर्ण आयोजन सौहार्दपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ, जिसमें साहित्य, संगीत और मानवीय मूल्यों का सुंदर समागम देखने को मिला। आमंत्रण में लोगों से सपरिवार और अपने ईष्ट-मित्रों सहित उपस्थिति की अपील की गई थी, और सैकड़ों की संख्या में दर्शकों ने इस काव्य-गंगा में डुबकी लगाई।

निमंत्रण

चित्रशाला

सूचना स्रोत

श्री सुमनेश ‘सुमन’ जी

प्रस्तुति