मुशायरा

मुशायरा

मुशायरा जश्न ए ईद

हमख्याल फाउंडेशन द्वारा 06 अप्रैल 2025 को मुशायरा जश्न ए ईद का आयोजन हाजी आदिल चौधरी मार्केट, लिसाड़ी गेट चौपला, मेरठ में हाजी आदिल चौधरी साहब की सरपरस्ती और एडवोकेट इरशाद चौहान के संयोजन में किया गया। इस अवसर पर प्रोग्राम के मुख्य अतिथि शहर काज़ी डॉक्टर काज़ी जैनस सालिकिन साहब रहे जिन्होंने सामाजिक समरसता और भाईचारा बनाए रखने और एक दूसरे के साथ मुहब्बत से रहने पर ज़ोर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉक्टर हाजी यूसुफ कुरैशी और हाजी इसरार सैफी द्वारा सामूहिक रूप से की गई।
कार्यक्रम का शुरुआती संचालन एडवोकेट इरशाद बेताब ने किया।
हास्य व्यंग्य के चर्चित कवि शायर डॉक्टर पॉपुलर मेरठी साहब को बूम मेरठी अवॉर्ड से नवाजा गया।
मशहूर शायर ऐन मीम कौसर बुलंदशहरी को इस्माइल मेरठी अवॉर्ड से नवाज़ा गया।
मरहूम शायर मुकर्रम अदना मेरठी को हफीज़ मेरठी अवार्ड से नवाजा गया जिसको उनके पुत्र कामरान द्वारा प्राप्त किया गया।
और फिर मुशायरे का बेहद सफल संचालन मशहूर शायर और संचालक जनाब रियाज सागर ख़तौलवी ने किया।
नात ए पाक के बाद शायर
डॉक्टर जकी तारिक बागपती ने पढ़ा कि –
“गुमान होता है मुझको तुम्हारे आने का।
हवा इधर से दबे पांव जब गुजरती है।”

इरशाद बेताब ने पढ़ा कि –
“फूल, खुशबू, रंग, हिना।
सब बेकार है तेरे बिना।
खुश रहने की बात तो छोड़।
जीना नहीं है तेरे बिना।।
तो श्रोताओं ने बहुत दाद दी।”

बुलंदशहर से आए शायर ऐन मीम कौसर ने पढ़ा कि

“बच्चों को दे रहे हैं जो क़ुर आं का पन्द लोग,
मेरी निगाह में वही अक़्लमंद लोग,
जंगल के जानवर भी नहीं इतने ख़ौफनाक,
जितने कि ख़ौफनाक हैं कमरों में बन्द लोग!”

वरिष्ठ कवि सुमनेश सुमन ने पढ़ा
“भले हर सिम्त राहों में अंधेरा ही अंधेरा है।
डराता हो हमें हर पल गहन तम का बसेरा है।
मगर इक आस का दीपक सुमन दहलीज पर रखना
किसी के रोकने से कब भला रुकता सवेरा है ….”
तो श्रोता वाह वाह करने लगे

पॉपुलर मेरठी साहब ने अपने हास्य में कहा कि
“मैं हूं जिस हाल में ऐ मेरे सनम रहने दे।
चाकू मत दे मेरे हाथ में कलम रहने दे।
मैं तो शायर हूं मेरा दिल है बहुत ही नाजुक।
मैं पटाखे से ही मर जाऊंगा बम रहने दे ।।”
तो श्रोताओं को पेट पकड़कर हंसने को मजबूर कर दिया।

अंत में अध्यक्षता कर रहे दिल्ली से आए मशहूर शायर एजाज़ अंसारी ने ये पढ़कर
“अजीब हाल है इस दौर की सियासत का ।।
यहां चिराग ज्यादा है रोशनी कम है
हम भिखारी से भी करते हैं तिजारत अक्सर ।।
एक पैसे में जो लाखों की दुआ देता है ।।
अपनी शायरी से सभी का दिल मोह लिया।”

इनके अतिरिक्त अभय कुमार अभय, डॉक्टर मुस्तमिर देहलवी, ताबिश खैराबादी, ने अपनी शेरो-शायरी से श्रोताओं का दिल जीता।
मुशायरे के आयोजन में कनवीनर इरशाद बेताब ने विशेष भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के दौरान शायरों ने प्रेम, समाज और जीवन की जटिलताओं पर आधारित ग़ज़लें पेश कीं।
मुशायरे का आयोजन शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ। आयोजकों ने श्रोताओं और शायरों का धन्यवाद ज्ञापित किया और आगे भी इस तरह के आयोजनों को निरंतर आयोजित करने का संकल्प लिया। इस मुशायरे में साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया और इसे एक सफल आयोजन के रूप में सराहा।
कार्यक्रम में हाजी अख्तर आलम, अब्दुल हक, रेड सुल्तान, आफताब खान, जीशान खान, अब्दुल कय्यूम एडवोकेट आदि उपस्थित रहे।

चित्रशाला

सूचना स्रोत

श्री सुमनेश ‘सुमन’

प्रस्तुति