अपनी अपनी राह

अपनी अपनी राह

।। अपनी-अपनी राह।।

हम बोलना क्या चाहते हैं, लोग समझ क्या जाते हैं?

हम जोड़ना क्या चाहते हैं, ना जाने लोग क्यों टूट जाते हैं?

ज्ञान-अज्ञान के मध्य बस फर्क इतना सा है कि,

ज्ञानी समझ जाते हैं, तो अज्ञानी टूट जाते हैं।।

रचनाकार

कवि मुकेश कुमावत मंगल, टोंक।

प्रस्तुति