बम्बेरवाल जी की नई कविता

बम्बेरवाल जी की नई कविता

बाल कविता

हम बालक है छोटे-छोटे
काम हमारे मोटे मोटे।
पढ़ने लिखने शाला जाते
मिलकर सारे गाना गाते।
सुबह सुबह जब सूरज आता
सबके मन को है हर्षाता।
दिन का वो राजा कहलाता
देर शाम वो घर को जाता।
रात पड़े तो आते तारे
टिमटिम करते हैं वो सारे।
संग उन्हीं के चंदा मामा
करते हमसे रामा श्यामा।
धरती पर है महल हमारा
जो है जग में सबसे प्यारा।
मम्मी पापा रहते जिसमें
प्यार भरा है कितना उसमें।
भैया बहना मैं भी रहता
बात पते की सबसे कहता।
दादा मेरे अच्छे लगते
सुबह सवेरे जल्दी जगते।
दादी कहती हमें कहानी
जिनको सुन बनते हम ज्ञानी।
तितली बन उड़ता मैं जाऊं
चिड़िया जैसे गीत सुनाऊं।
यही रही है मन में आशा
मेरे बचपन की अभिलाषा।

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

मालपुरा