“ये सिर्फ किताबें नहीं, ये भविष्य की चाभियाँ हैं — उम्मीद संस्था का हर प्रयास समाज को रोशन करने की एक लौ है।”
यह पंक्ति सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि एक गहरी संवेदना और उद्देश्य की अभिव्यक्ति है। जब हम कहते हैं कि
“ये सिर्फ किताबें नहीं, ये भविष्य की चाभियाँ हैं,”* तो इसका अर्थ है कि हर किताब में छुपा होता है ज्ञान का वह ताला खोलने वाला चाबी जो किसी बच्चे के जीवन को नई दिशा दे सकती है।
‘उम्मीद’ फ्री बुक बैंक इसी सोच के साथ कार्य कर रही है — उन बच्चों तक किताबें पहुँचाना जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, परंतु ज्ञान की प्यास उनमें भी उतनी ही सच्ची है जितनी किसी और में। यह संस्था न केवल किताबें एकत्र करती है, बल्कि उन्हें उन नन्हे हाथों तक पहुँचाती भी है जो भविष्य की इमारत बन सकते हैं।
सोचिए, वह किताब जो आपकी अलमारी में धूल खा रही है, किसी और के लिए सपनों की पहली सीढ़ी बन सकती है। वह हिंदी की पाठ्यपुस्तक, वह विज्ञान की कॉपी, वह कहानी की किताब — किसी गरीब बच्चे के जीवन में आशा की किरण बन सकती है।
किताबें बेचिए मत, दान कीजिए।
जब आप किताब बेचते हैं, आप कुछ पैसे पाते हैं; लेकिन जब आप किताब दान करते हैं, आप किसी का भविष्य संवारते हैं। समाज को आगे बढ़ाने का यही सच्चा रास्ता है — ज्ञान को साझा करना, बिना किसी स्वार्थ के।
‘उम्मीद’ संस्था की यह लौ तभी और प्रज्वलित होगी जब आप जैसे संवेदनशील लोग इसमें अपनी आहुति देंगे — किताब के रूप में, सहयोग के रूप में, और प्रेम के रूप में।
क्योंकि किताबें जब चलती हैं, तो किस्मतें बदलती हैं।
आइए,
“किताबें दें — भविष्य गढ़ें।”
चित्रों के आईने में
सूचना स्रोत
श्री देवेंद्र नागर
पाठ्य विस्तार
चैट जीपीटी
प्रस्तुति