रिश्तों की परिभाषा

रिश्तों की परिभाषा

जिनसे रिश्ते थे खूं के उनका
पूछा न कभी हाल खबर
और जो अनजान हैं उनके
हर हाल का रखते हैं खबर
#आशुअंडमानी24

यहाँ पर उपरोक्त भावपूर्ण पंक्तियों को आधार बनाकर एक उदाहरणात्मक लेख प्रस्तुत है।

रिश्तों की परिभाषा : खून से नहीं, भावना से बनते हैं रिश्ते— आशु अंडमानी 24 की प्रेरणास्पद सोच पर आधारित लेख

हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ रिश्तों की परिभाषा दिन-ब-दिन बदलती जा रही है। पहले जहाँ खून के रिश्तों को सर्वोपरि माना जाता था, वहीं अब अनुभव कर रहे हैं कि सच्चे रिश्ते वे नहीं होते जो जन्म से बंधे हों, बल्कि वे होते हैं जो भावनाओं, समझदारी और परवाह से जुड़े हों।

“जिनसे रिश्ते थे खूं के उनका
पूछा न कभी हाल खबर
और जो अनजान हैं उनके
हर हाल का रखते हैं खबर”

इन पंक्तियों में एक गहरा व्यंग्य छुपा है—खून के रिश्ते कभी-कभी सिर्फ नाम के रह जाते हैं, जबकि वो लोग जो कभी हमारे जीवन में नहीं थे, आज हमारे सुख-दुख के सहभागी बन जाते हैं। यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि जिनसे जन्म से नाता है, उनसे संवाद की डोर टूट चुकी है, और जिनसे कोई सामाजिक या पारिवारिक बंधन नहीं, वही लोग हमारी चिंता करते हैं, हमारे हालचाल पूछते हैं।

यह लेख केवल शिकायत नहीं है, बल्कि आत्मचिंतन का अवसर है। क्या हम भी उन्हीं में से तो नहीं जो अपने खून के रिश्तों को उपेक्षित कर चुके हैं? क्या हम भी अपने ‘अनजान’ समझे जाने वाले संबंधों को अधिक महत्व देने लगे हैं, क्योंकि उन्होंने हमें वाकई समझा है?

यह सच है कि हर रिश्ता मन से जुड़ा होता है, और मन इतना संवेदनशील है कि जहां स्नेह व अपनापन मिले वहीं मुड़ जाता है। यह बात परिवार में दोनों पक्षों को समझनी होगी। भावना का सम्मान भी जरूरी है और रिश्तों में थोड़ी स्वतंत्रता भी। यदि यह स्थिति अपनों के साथ बन जाये तो अपनों से मन विमुख ही न हो।

इस परिवर्तनशील समाज में अब यह समझने की जरूरत है कि सच्चे रिश्ते केवल खून के नहीं होते—वे दिल से बनते हैं। चाहे वह पड़ोसी हो, कोई शिक्षक, एक सहकर्मी, या कोई अनजान राहगीर—जो आपके दर्द को समझे, वक्त पर आपके साथ खड़ा हो, वही आपका अपना है।

आइए, हम उन रिश्तों को पुनः पहचानें और सराहें जो भावना की नींव पर टिके हैं, न कि केवल खून के रिश्तों की खोखली परंपरा पर।

आइए, हम उन रिश्तों को पुनः पहचानें और सराहें जो भावना की नींव पर टिके हैं, न कि केवल खून के रिश्तों की खोखली परंपरा पर।

आइडिया

आशु अंडमानी

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