कुरीतियों के निवारण संबंधी अपील

कुरीतियों के निवारण संबंधी अपील

“सम्मानित साथियो!

आज हम ऐसे समय में हैं जहाँ समाज में व्याप्त और नवीकृत विविध प्रकृति की कुरीतियाँ हमारे विचारों और ऊर्जा को दूषित एवं प्रभावित करने का निरंतर प्रयास कर रही हैं। इनको लेकर हम अक्सर तर्क और कुतर्क के मध्य उलझ जाते हैं, जहाँ हमारी मानसिक शक्ति बहसों में व्यर्थ ही नष्ट हो जाती है और हम ऐसी कुरीतियों के निवारक उपाय ढूंढने में विफल हो जाते हैं।
ऐसे में हमें स्मरण रखना चाहिए कि परिवर्तन केवल वाणी से नहीं, बल्कि कर्म और चरित्र से आता है।
इसीलिए आज टीम उलझन सुलझन एवं जनचेतना मिशन आप सभी से आग्रह करती है कि हम अपनी मानसिक ऊर्जा को व्यर्थ के विवादों में नष्ट न करें। इसके बजाय, अपने मस्तिष्क को स्थिर रखने के सारे उपाय अपनाएं। अपने विवेक को जाग्रत करें, और अपनी बुद्धिमत्ता को सृजनात्मक कार्यों में लगाएँ।
हमारा मस्तिष्क जब शुद्ध और सशक्त होगा, तब ही हमारी चेतना सत्य और न्याय के लिए सजग होगी, तभी हम समाज में वास्तविक बदलाव ला सकेंगे।
अतः कुरीतियों पर तर्क करने से बेहतर है कि हम स्वयं उदाहरण बनें — ऐसा उदाहरण जो विचारशीलता, सहनशीलता और रचनात्मकता का प्रतीक हो। हमारी सोच, हमारे कार्य और हमारी दृष्टि ही आने वाले समय की दिशा तय करेंगे।
तो आइए, हम सब संकल्प लें कि हम विवाद नहीं, समाधान के वाहक बनेंगे। हम आलोचना नहीं, सृजन को अपनाएँगे। और हम अपने भीतर की शक्ति से समाज को एक नई दिशा देंगे।
स्मरण रहे कि स्वस्थ मस्तिष्क, जाग्रत विवेक और सक्रिय बुद्धिमत्ता से सुसज्जित व्यक्ति ही सच्चा परिवर्तनकर्ता होता है।

जनचेतना मिशन की

धन्यवाद।”