चौपाई छंद

चौपाई छंद

जय मां शारदे

चौपाई छंद

।।ग्रीष्म ऋतु।।

गर्म हवा चलती है भारी

धरा आग-सी जलती सारी।

भाती है पेड़ों की छाया

राम राम रटती है काया।

सूख गया अब सरवर पानी

ग्रीष्म ऋतु की ये मन मानी।

बड़े जोर जब आंधी आती

धूल घरों में वो भर जाती।

कूलर पंखे ए सी सारे

रात दिवस चलते वे हारे।

बिजली कर ये मिचौली

खेल रही मिट्टी से होली।

आसमान में सूरज चमके

आग उगलता देखो जमके।

गर्मी का ये मौसम आया

ताप यहां घर घर पर छाया।

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रचनाकार

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

मालपुरा, टोंक (राजस्थान)

प्रस्तुति