बाल गीत
मेले का दृश्य

बाल गीत

चौपाई छंद

बाल गीत

।।मेला।।

सजी दुकानें करती बातें

ले लो जी सामान सुहाते।

लगा हुआ है प्यारा मेला

खूब प्रीत का भरा झमेला।

मेले का दृश्य

गर्म जलेबी पास बुलाती

सबके ही मन को ललचाती।

साथ सजी है कढी पकौड़ी

चटनी के संग बड़ी कचौड़ी।

जलेबी की दुकान

सजे हुए हैं चकरी झूले

चढ़ कर उनपर नभ को छू ले।

सजी चूड़ियां मेले में अबध

रंग बिरंगी फैशन की सब।

चकरी झूले

खेल दिखाते दिखे मदारी

देख रही ये जनता सारी।

खड़ा पास गुब्बारे वाला

बोल रहा कुछ दे दे झाला।

मैंने भी देखा मेला था

जाकर फिर खाया केला था।

संग हमारे थे दादा जी

नहीं किया खर्चा ज्यादा जी।

रचयिता

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

मालपुरा

प्रस्तुति