ग्राम गंगोल से उठी स्वाभिमान की आवाज

ग्राम गंगोल से उठी स्वाभिमान की आवाज

ग्राम गंगोल से उठी स्वाभिमान की आवाज

मेरठ जिले के गंगोल गाँव में 14 मई 2025 को एक ऐतिहासिक क्षेत्रीय पंचायत आयोजित हुई, जिसने न केवल स्थानीय जनचेतना का परिचय दिया, बल्कि यह संदेश भी स्पष्ट रूप से दे दिया कि अब निर्णय गाँव के लोग स्वयं लेंगे – और बाहरी हस्तक्षेप का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। इस क्षेत्रीय पंचायत में मेरठ ब्लॉक और वार्ड 20 जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी गाँवों के वर्तमान और पूर्व ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और सामाजिक-सर्वसमाज के सैकड़ों नागरिकों ने भाग लिया।

मुख्य प्रस्ताव

बाहरी प्रत्याशियों का पूर्ण बहिष्कार

इस पंचायत में वक्ताओं ने एक स्वर में घोषणा की कि

“यदि मेरठ ब्लॉक प्रमुख और वार्ड 20 जिला पंचायत सदस्य का चुनाव कोई बाहरी व्यक्ति लड़ेगा, तो पूरा क्षेत्र उसका विरोध करेगा और उसे पूरी तरह से बहिष्कृत किया जाएगा।”

यह सिर्फ एक प्रस्ताव नहीं था, यह क्षेत्र की अस्मिता, स्वाभिमान और आत्मनिर्णय की भावना का सार्वजनिक उद्घोष था।

जन-भागीदारी की मिसाल

चौंकाने वाली बात यह थी कि इतनी बड़ी संख्या में लोग मात्र एक फोन सूचना पर एकत्रित हुए। बिना किसी प्रचार या औपचारिक निमंत्रण के, सभी गाँवों से लोग स्वेच्छा से उपस्थित हुए – यह दिखाता है कि यह मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर लोगों के दिलों से जुड़ा है।

पंचायत का संचालन व अध्यक्षता

इस महत्त्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता विजयपाल गुमी द्वारा की गई, जबकि आयोजन और संचालन का दायित्व अभिषेक संघी ने निभाया।

वक्ताओं की भावनाएँ

योगेंद्र प्रधान, दिनेश प्रधान, पदम सिंह (खेड़ा बलरामपुर), महेंद्र प्रधान, जगरूप प्रधान, जैवेंद्र प्रधान, बबलू, फैय्याज, आलम, जयप्रकाश, पुनीत, एडवोकेट आदि हरित, कुलदीप मुकद्दम, राजपाल डीलर और अजय प्रधान, शिवकुमार शर्मा, संदीप, अब्बास (गगोल), भूडबराल से फारुख सैफी, नकुल शर्मा और रिंकू प्रधान; हाजीपुर से फारुख; गांवड़ी से शक्ति नेहरा; बहादरपुर से वीरेन्द्र चेयरमैन और लोकेश; महीउददीनपुर से विपिन; फफूंडा से अंशुल; इटायरा से मनोहरलाल; जुर्रानपुर से अमित भड़ाना, अनुज भड़ाना और देवा भडाना; चाँदसारा से प्रशांत त्यागी; नराहडा से प्रमुख कपिल मुखिया और एडवोकेट अतुल जैसे प्रमुख वक्ताओं ने यह दोहराया कि यह आंदोलन व्यक्तिगत विरोध नहीं, बल्कि क्षेत्रीय अधिकारों और आत्मसम्मान की लड़ाई है।

इन सभी ने एक स्वर में कहा कि–

“अब क्षेत्र की राजनीति स्थानीय नागरिक ही करेंगे। बाहरी व्यक्तियों को सिर्फ स्वार्थ के लिए इस क्षेत्र में पैर जमाने नहीं दिया जाएगा। यह भूमि हमारी है, नेतृत्व भी हमारा ही होगा।”

प्रमुख नागरिकों की भागीदारी

सभी ने क्षेत्रीय एकता के इस प्रयास में सक्रिय भागीदारी दिखाई।

अन्य विशिष्ट प्रतिभागी

बैठक में ऐसे अनेक प्रतिष्ठित नागरिक भी शामिल हुए, जिन्होंने मनोबल को नई ऊंचाई दी। इनमें कैप्टन शयोदान सिंह, सत्यबीर प्रधान, सूबेदार धूम सिंह, शम्सू फकीर, बाबू खान, सद्दीक सैफी, महरबान और डॉ. सत्यपाल इंजीनियर गंगोल, वेदप्रकाश कश्यप, जल्लू कश्यप, सतपाल कश्यप, देवेंद्र प्रजापति, जयपाल प्रजापति, सुरेन्द्र ठाकर जैसे विविध धर्म और जातियों के वरिष्ठ जन सम्मिलित थे।

संक्षेप में – एक जनआंदोलन की शुरुआत

यह पंचायत केवल एक बैठक नहीं थी – यह एक जनआंदोलन की शुरुआत थी, जो क्षेत्रीय पहचान, आत्मनिर्भर नेतृत्व और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक बन गई है। क्रांतिकारी गांव गंगोल में गूंजे स्वाभिमान के ये स्वर अब पूरे क्षेत्र में फैलने को तैयार हैं।

जनता का यह स्पष्ट और एकमत निर्णय केवल वर्तमान चुनाव नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीति की दिशा तय कर सकता है – जहां नेतृत्व का आधार केवल बाहरी प्रभाव नहीं, बल्कि स्थानीय विश्वास, संघर्ष और निष्ठा होगी।

“हर गाँव – हर घर तक यह संदेश पहुँचे – हम अपने निर्णय खुद लेंगे। बाहरी नेतृत्व नहीं, अब क्षेत्र की जनता स्वयं नेतृत्व करेगी।”

🖋️ रिपोर्ट: [डॉ. सत्यपाल इंजीनियर गंगोल]

📍 स्थान: गंगोल, मेरठ

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