दोहे
बड़मावस
वृक्ष तले वट के चली, कर सोलह शृंगार। वड़मावस की शुभ घड़ी,जीवन का उपहार ।।
धागों में लिपटी दुआ,संकल्पों का मूल।
पति की लंबी आयु हो,अर्पित श्रृद्धा फूल ।।
पति की लंबी उम्र का, मांगे है वरदान ।।
सुहाग यम से माँगती, पूरे उर अरमान ।।
डोरी बाँधे प्रेम की, चुप रहकर संकल्प ।
यम के पीछे वो चली, उम्र बढ़ाने अल्प ।।
अक्षत-रोली,दीप में, नारी का विश्वास।
सावित्री बन नारियाँ , रचें प्रेम इतिहास ।।
रचनाकार
डाॅ. छाया शर्मा
अजमेर, राजस्थान
प्रस्तुति