कविता

कविता

झूठी भाषा

आज उधारी के भावों से रिश्ते दुनिया तौल रही।
मोबाइल की झूठी भाषा सिर पर चढ़कर बोल रही।
अंतर्मन के भाव लुप्त हैं स्टेट्स की महफ़िल में ,
जीवन के झंझावातों में सारी दुनिया डोल रही।।

रचयिता
@…दया शंकर शर्मा

प्रस्तुति