“मां सरस्वती कोचिंग सेंटर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत करती है!”
इसी संबोधन के साथ मां सरस्वती कोचिंग सेंटर घिटोरनी में मेडिकल सेमिनार का आयोजन किया गया। इस शुभ अवसर पर डॉक्टर पूरनचंद योग गुरु और डॉक्टर सुरेंद्रपाल जैन जी को श्री अनिल बैसला सर ने अंगदान भेंटकर पौधा देकर सम्मानित किया। इस शुभ अवसर पर डॉ पूरन चंद योग गुरु ने बच्चों को योगा टिप्स, मेडिटेशन के बारे में, आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं और अपनी एकाग्रता को बढ़ाने के लिए सभी बच्चों को विशेष टिप्स दिए। इस शुभ अवसर पर डॉक्टर सुरेंद्रपाल जैन ने सभी बच्चों को खान-पान से संबंधित और फास्ट फूड से बचने संबंधी उपाय बताए। डॉक्टर सुरेंद्रपाल जैन ने बीमारियों से बचने हेतु उपाय दिए और गर्मियों के दिनों में अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए यह परामर्श दिया। डॉक्टर सुरेंद्रपाल जैन ने बच्चों को गुड और बेड टच के बारे में भी बताया।
योग गुरु ने बच्चों को योग के बारे में कहा कि योग करने से
1. शारीरिक लाभ
शरीर में लचीलापन (Flexibility) बढ़ता है।
मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति में सुधार होता है।
रक्त संचार बेहतर होता है।
श्वसन प्रणाली मज़बूत होती है (प्राणायाम से)।
हार्मोन संतुलन बेहतर होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
मोटापा और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
पीठ और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
2. मानसिक लाभ
तनाव और चिंता को कम करता है।
मन को शांत और स्थिर बनाता है।
नींद में सुधार करता है (अनिद्रा से राहत)।
एकाग्रता और ध्यान में वृद्धि होती है।
डिप्रेशन में लाभकारी होता है।
चिकित्सक डॉ सुरेन्द्रपाल जैन जी ने कहा कि
” ‘असाध्य रोग’ का अर्थ है ऐसे रोग जिन्हें आधुनिक चिकित्सा पद्धति में पूरी तरह से ठीक करना कठिन या असंभव माना जाता है।”
जैसे: कैंसर (Cancer), मधुमेह (Diabetes – Type 1), एड्स (HIV/AIDS), मल्टीपल स्क्लेरोसिस, पार्किन्सन, अस्थमा (Severe Chronic), किडनी फेल्योर, हृदय संबंधी गंभीर बीमारियाँ।
हालाँकि, इन रोगों का पूरी तरह ‘उपचार’ आज भी सीमित है, लेकिन कई उपायों और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से रोग की तीव्रता को कम किया जा सकता है और रोगी की जीवन-गुणवत्ता (quality of life) को बेहतर बनाया जा सकता है और कई मामलों में दीर्घकालिक नियंत्रण भी पाया जा सकता है। चिकित्सकों ने यह भी बताया कि
🌿 असाध्य रोगों के लिए उपयोगी उपचार और उपाय
1. योग और प्राणायाम:
कपालभाति – पाचन, मधुमेह और किडनी रोगों में लाभकारी
अनुलोम-विलोम – मानसिक शांति, हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा
भ्रामरी प्राणायाम – तंत्रिका तंत्र को शांत करता है
योग निद्रा – तनाव व अनिद्रा में अत्यंत लाभकारी
2. आयुर्वेदिक उपचार:
पंचकर्म थेरेपी (शुद्धिकरण)
हर्बल औषधियाँ जैसे अश्वगंधा, गुग्गुल, हल्दी, नीम आदि
डाइट सुधार (त्रिदोष – वात, पित्त, कफ के अनुसार भोजन)
3. होम्योपैथी:
रोग की प्रकृति और व्यक्ति की मानसिक स्थिति के अनुसार दी जाती है, जिससे लक्षणों में राहत मिल सकती है।
4. सात्विक आहार:
ताजे फल, हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, हल्का पका भोजन।
प्रोसेस्ड, तले-भुने, रसायन युक्त भोजन से परहेज़।
5. ध्यान (Meditation) और सकारात्मक सोच
मानसिक संतुलन बनाए रखता है।
रोग से लड़ने की आंतरिक शक्ति बढ़ाता है।
कई असाध्य रोगों में चमत्कारी प्रभाव देखा गया है।
6. नेचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा)
मिट्टी, पानी, सूर्य, हवा – इनका सही उपयोग रोगनाशक होता है।
उपवास, जल चिकित्सा, एनिमा, हर्बल स्नान आदि प्रभावी उपाय हैं।
चित्रशाला
सूचना स्रोत
श्री अनिल बैंसला
प्रस्तुति