जल जीवन आधार रे बन्दे
जल जीवन का सार….
जल है तो धरती का कल है ।
नदियों झरनों में कल-कल है ।।
पुष्पों से महकी बगिया हैं ,
खेतों में भी चलता हल है ।।
बिन पानी के कैसे संभव ,
सपनों का संसार रे बन्दे ।
जल जीवन आधार रे बन्दे
जल जीवन का सार….।।१।।
अमृत-सम था पानी निर्मल ।
चमक भरा था हीरे सा जल ।।
कूप-तड़ाग भरे रहते थे ,
देख हृदय होता था विह्वल।।
अमृत जल से गुंजित होती ,
वृक्षों की झंकार रे बन्दे ।
जल जीवन आधार रे बन्दे
जल जीवन का सार….।।२।।
नदियों में अब बहता मल है ।
गंदे नालों की हलचल है ।।
कूड़े-कचरे-रक्त-मांस से,
दूषित होता निर्मल जल है ।।
घाट-घाट पर अटा पड़ा हैं,
कचरे का अंबार रे बन्दे।।
जल जीवन आधार रे बन्दे
जल जीवन का सार….।।३।।
स्वार्थ से उठ सोच तू कल की ।
चिंता कर कुछ अगले पल की ।।
मिटा प्रदूषण धरती माँ का,
रक्षा कर तू जल और थल की ।।
भावी पीढ़ी याद करेगी ,
तेरा ये उपकार रे बन्दे।
जल जीवन आधार रे बन्दे
जल जीवन का सार….।।४।।
@…दया शंकर शर्मा