नमन-मां शारदा काव्य मंच
।।समय।।
अरे! समय तू धीरे धीरे चल
साथ हमारे भी कुछ तो ढल ।
पल भर में सुख तुम लाते हो
दूजे पल ग़म दे जाते हो।
यही बात है हमको खलती
तेरी ही है इसमें गलती।
निकाल इसका भी कुछ तो हल
अरे!समय तू धीरे धीरे चल।
दीन हीन जो साथ चले हैं
तेरे रंग मे ही ढले है।
उनका साथ निभाना प्यारे
तेरे होगें वारे न्यारे।
मत लोगों को प्यारे यूं छल
अरे!समय तू धीरे धीरे चल।
तेरे बिन सुबह नहीं होती
बिन तेरे मिले नहीं मोती।
तेरा साथ है बहुत जरूरी
तू ही विकास की है धूरी।
सभी समस्याओ का तू हल
अरे!समय तू धीरे धीरे चल।
रचयिता
श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’
खेड़ा मलूका नगर
टोंक (राजस्थान)
प्रस्तुति