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सारांश
यह पाठ व्यवहारिक मनोविज्ञान पर आधारित है, जिसमें यह समझाया गया है कि बच्चों (या किसी भी व्यक्ति) को सुधारने के लिए उनकी आलोचना (Criticism) करने के बजाय, उनकी अच्छाइयों की सराहना करते हुए प्रेरित करना अधिक प्रभावी होता है। यदि बच्चा गणित में कमजोर है पर अंग्रेजी में अच्छा है, तो उसकी अंग्रेजी की तारीफ करते हुए gently यह कहना चाहिए कि “थोड़ी मेहनत और कर लो, फिर सबसे आगे हो जाओगे।” यही तरीका ऑफिस स्टाफ पर भी लागू होता है—कमियों को सामने लाने के बजाय उनकी योग्यताओं को पहचानते हुए उन्हें सुधार की ओर प्रेरित करें।
मुख्य विशेषताएँ:
1. अनुकरण की शक्ति:
बच्चे वही करते हैं जो वे बड़ों से देखते हैं, इसलिए बड़ों को अपने आचरण पर ध्यान देना चाहिए।
2. रचनात्मक सराहना:
आलोचना से बचते हुए सकारात्मकता के माध्यम से सुधार का सुझाव देना अधिक लाभदायक होता है।
3. प्रेरणा आधारित सुधार:
तारीफ से जुड़ा हल्का-सा सुझाव बच्चों/कर्मचारियों को मोटिवेट करता है।
4. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण:
व्यवहार में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहन आधारित साइकोलॉजी अपनाई जाए।
5. वैयक्तिक अनुभव आधारित:
लेखक अपने ऑफिस के अनुभव से सिद्ध करता है कि सकारात्मक फीडबैक का असर होता है।
6. प्रभावी संप्रेषण:
संवाद में उपेक्षा नहीं, अपनत्व व प्रोत्साहन होना चाहिए जिससे व्यक्ति खुले मन से सुधार को अपनाता है।
इस प्रकार, यह संदेश व्यवहार सुधार के लिए एक संवेदनशील, प्रेरक और व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।