आम महोत्सव 2025

आम महोत्सव 2025

🌿 श्रावण मास के स्वागत में

आम महोत्सव 2025

(भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास, जनचेतना मिशन और उलझन सुलझन के संयुक्त प्रयास से)

📜 प्रस्तावना (सरल भाषा में)

श्रावण मास हमारे भारत की संस्कृति, भक्ति और पवित्रता से भरा हुआ एक विशेष समय होता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है और लोग प्रकृति से जुड़ते हैं। इसी भावना के साथ भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास, जनचेतना मिशन और उलझन सुलझन मिलकर ‘आम महोत्सव 2025’ मना रहे हैं।

यह सिर्फ आम फल का उत्सव नहीं है, बल्कि आम आदमी के मन की मिठास, आपसी संवाद, सहयोग और समाज की भलाई का भी उत्सव है।

इस दिन का विशेष महत्व है —
आज का दिन खास इसलिए चुना गया है क्योंकि 13 जुलाई 1997, रविवार को ही इस क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों ने मिलकर ‘भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास’ की स्थापना की थी। ठीक 28 साल पहले का वही दिन और वही तारीख — इसलिए यह आयोजन उस सेवा भावना को याद करने और आगे बढ़ाने का एक अवसर है।

जनचेतना मिशन लोगों को सोचने और जागरूक होने के लिए प्रेरित करेगा इस दिशा में प्रयास करने के ध्येय से आज आरंभ किया जा रहा है।
उलझन सुलझन रोजमर्रा की समस्याओं का हल सामाजिक बातचीत से ढूंढने का निरंतर प्रयास करता है।

🌟 महोत्सव का उद्देश्य

आपसी संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए

परंपरा, प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान

श्रावण मास के पुण्य अवसर को समाजसेवा से जोड़ना

आइए, इस श्रावण में मिलकर सेवा, समाधान और सौहार्द के इस मीठे ‘आम उत्सव’ को सफल बनाएं।

कार्यक्रम

भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास का आम महोत्सव 13 जुलाई 2025 को सत्य श्याम योगी धाम, गगोल, मेरठ में किया गया। इसका उद्देश्य न्यास स्थापना तिथि 13 जुलाई 1997 का पुनः स्मरण करना था। इसके लिए नियत समय प्रातः दस बजे था और कार्यक्रम के अनुसार दस बजे उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षरों से कार्य आरंभ  कर दिया गया यद्यपि उस समय उपस्थितजनों की संख्या सीमित थी। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए संचालक डॉ. सत्यपाल सिंह इंजीनियर ने जनचेतना मिशन के अध्यक्ष श्री शिवकुमार शर्मा को एवं महासचिव राजीव वर्मा को मंचासीन होने का निर्देश दिया।

संचालक संचालक डॉ. सत्यपाल सिंह इंजीनियर ने पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया कि

“आज हम ठीक पच्चीस वर्ष बाद यथातिथि एवं दिवस एक साथ बैठे हुए हैं और आज जनचेतना मिशन का गठन कर रहे हैं। यद्यपि यह संगठन अनौपचारिक रूप से पहले से ही काम कर रहा है और कुछ उपलब्धियाँ भी अर्जित कर चुका है। इसको उलझन – सुलझन का और उलझन – सुलझन को जनचेतना मिशन का सहयोग  निरंतर मिलता रहेगा।”

उलझन – सुलझन मासिक के संपादक राजीव वर्मा तथा जनचेतना मिशन के संदीप, डा० योगेशपाल, डॉ सचिन बंसल, राजेश शर्मा, ज्योति दुबे, डा० यशी शर्मा डॉ ईशा दुबे, पूनम सैनी, महाबीरी, धर्म सिंह, बालेश, डॉ अनिता सिंह, तेजपाल पोसवाल, वाणी बंसल, बाबू खान, डा० मनीष कुमार, आयुष कुमार, शोभित कुमार, मनोज कुमार, सचिन कुमार, कृष्ण कुमार, वीर महेन्द्र सिंह, ऋषिपाल और श्यामा कुमारी ने अपने विचार प्रकट किये।

वक्ताओं ने प्राकृतिक चिकित्सा में अपना विश्वास व्यक्त किया और इन सबने व्यक्तिगत रूप से भी प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया है।

कार्यक्रम में आम वितरण से पूर्व एक दिलचस्प समय तब आया जब डॉ सचिन बंसल ने भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास के संस्थापक एवं सत्य श्याम योगी धाम प्राकृतिक चिकित्सालय के व्यवस्थापक डॉ सत्यपाल सिंह इंजीनियर के सम्मुख एक प्रश्न रखा कि

“जीवन में किस चीज़ की आवश्यकता है और किस चीज़ की आवश्यकता नहीं है?”

इसके प्रति उत्तर में डॉ सत्यपाल सिंह जी ने डॉ सचिन बंसल से ही इस प्रश्न का उत्तर अपने तरीके से देने के लिए कहा, और सचिन बंसल ने इसका उत्तर इस प्रकार दिया।

“जीवन में आनन्द की आवश्यकता सदैव है। और! जिसकी आवश्यकता नहीं है, वह कुछ भी नहीं है।”

श्री सत्यपाल सिंह ने इसके बाद उत्तर की व्याख्या करते हुए कहा कि

“हम यदि समुद्र के निकट हैं तो सामान्यतया आती-जाती लहरों को ही समुद्र मान लेते हैं जबकि ये आती-जाती लहरें ही समुद्र नहीं हैं। समुद्र की गहराई, उस गहराई में लोप बहुमूल्य चीजों का नाम समुद्र है। समुद्र का जल खारा, पर प्रकृति की व्यवस्था से वह मीठा और स्वादिष्ट होकर मानव को उपयोगी रूप में मिलता है। इसी प्रकार मनुष्य की पहचान बाह्य रूप में नहीं होती है। उसके अंदर छिपी गहराई, गुणवत्ता, मानवता, व्यवहार और उसके सोच-विचार से होती है अर्थात्

“जो दिखे वो कुछ का कुछ, जो ना दिखे वही सब कुछ।”

इसके उपरांत आम व दुग्ध का आगंतुकों ने लुत्फ़ उठाया।

चित्रशाला

पाठ्य विस्तार

प्रस्तुति

— आयोजक मंडल
भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास
जनचेतना मिशन
उलझन सुलझन