बाल गीत
छाती है हरियाली भू पर, जब जब वर्षा आती
पेड़ खुशी से लहराते हैं, कोयल गीत सुनाती।
ताल-तलैया भर जाते सब, कल-कल नदिया बहती,
मुस्काती है धरती सारी, मन की बातें कहती।
बादल आते काले-काले, नभ में हैं लहराते
बारिश करते रिमझिम रिमझिम,सबके मन को भाते
दादुर मिलकर गीत सुनाते,हमको लगते प्यारे
झरने झरते पर्वत में से,लगते सबसे न्यारे।
गर्म कचौरी और समोसा, वर्षा में हैं भाते,
दाल-पकौड़ी गर्म-गर्म हो, खूब मजे से खाते।
मालपुए हो खीर साथ में, मिर्ची के टरपोले,
वर्षा ऋतु में खाते हैं जब, मिसरी मन में घोलें।
रचनाकार
श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’
मालपुरा
चित्र सृजन
चैट जीपीटी
प्रस्तुति