‘एंपावर्ड गुजरिया’ की हरियाली तीज
परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम
नई दिल्ली, 20 जुलाई 2025 । ‘एंपावर्ड गुजरिया’ टीम द्वारा कनक बैंक्वेट, नई दिल्ली में आयोजित ‘हरियाली तीज – शिव-गौरा विवाह रीलोडेड’ कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर की सैकड़ों महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना दिया।
यह आयोजन न केवल आनंद और उत्सव का प्रतीक बना, बल्कि उसमें भक्ति, संस्कृति और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम भी देखने को मिला। वर्षों पुरानी परंपरा को आधुनिक परिवेश में जीवंत करने का यह प्रयास सभी के लिए प्रेरणादायक रहा।
कार्यक्रम की विशेष झलक रही शिव-गौरा विवाह — जिसमें बारात, गठबंधन की रस्म और पारंपरिक गीतों के माध्यम से विवाह की संपूर्ण विधि को सजीव किया गया। श्रीमती राजो गुर्जरी (एंपावर्ड गुजरिया की कल्चरल एम्बेसडर) ने सिर पर हुक्का और तीन मटकियाँ रखकर पारंपरिक ओढ़ना, कमीज़ और घाघरा में ऐसा नृत्य प्रस्तुत किया कि सभी दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए।
इस आयोजन में न्यू एज गौरा की चयन प्रक्रिया भी शामिल रही, जहाँ युवतियों ने अपने विचारों के माध्यम से यह संदेश दिया कि आधुनिक होना अपनी जड़ों से अलग होना नहीं होता। जीवन मूल्यों के साथ आत्मनिर्भरता और समानता की राह पर चलना ही सच्चे अर्थों में ‘नवयुग की गौरा’ होना है।
कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया सुप्रसिद्ध कवयित्री एवं भावनात्मक अभिव्यक्ति की उत्कृष्ट कलाकार श्रीमती अल्पना सुहासिनी ने, जिनकी मधुर वाणी और शानदार एंकरिंग ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।
इस आयोजन को सफल बनाने में एंपावर्ड गुजरिया टीम की मुख्य सदस्यों — श्रीमती निर्मल डेढ़ा, श्रीमती अनु भड़ाना, श्रीमती नीतू श्यामदेव भड़ाना और डॉ. निकिता नागर की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनकी दूरदृष्टि, समर्पण और योजनाबद्ध कार्यशैली ने इस आयोजन को हर दृष्टि से सफल बनाया।
कार्यक्रम में न्यायविदों, शिक्षाविदों, समाजसेविकाओं, कलाकारों और विभिन्न क्षेत्रों की सशक्त महिलाओं ने भाग लेकर तीज उत्सव को और भी भव्य बना दिया। वहीं दूसरी ओर, महिलाओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, पारंपरिक गीत-संगीत और महिला-नेतृत्व वाले स्टॉल्स के माध्यम से अपनी रचनात्मकता और उद्यमिता का भी परिचय दिया।
समापन के अवसर पर सभी बहनों-बेटियों को स्नेहवश उपहार भेंट कर विदाई दी गई। पूरे आयोजन के दौरान सौहार्द, उमंग और उत्साह का जो माहौल बना, उसमें सभी परिवारों का सहयोग सराहनीय रहा।
कार्यक्रम के अंत में जैसे ही एंपावर्ड गुजरिया एंथम गूंजा — पूरा माहौल झूम उठा और हर चेहरा गर्व और खुशी से खिल उठा।
“यह तो बस शुरुआत है, लड़कियो! … मंज़िलें अभी और भी हैं!”
सूचना स्रोत
श्रीमती नीतू श्यामदेव भड़ाना
प्रस्तुति