🌺घड़लो म्हारा माखन को🌺
(राग धमाल)
मत फोडे़ रै कानूडा़ घड़लो,म्हारा माखन को।
मत फोड़े रै-२ (टेर)
सासू जी लड़े रै म्हारी,जैठाणी भी लडे़ रै-२
अरै दौराणी का ताना सुण-सुण,कान फूटे रै।
मत फोडे़ रै-२ कानूडा़ घड़लो,म्हारा माखन को,
मत फोड़े रै।।१।।
रोजीना रो धारों थारो,क्यूॅं टोटा दिलवावै रे-२
लूटा-खसोटी कर-कर,क्यूॅं म्हाने लड़वावै रै।
मत फोडे रै-२ कानूडा़ घड़लो,म्हारा माखन को।
मत फोड़े रै।।२।।
कांकड़ में गायां के पाछे,दिनभर दौड़ लगाऊॅं रै-२
दो पीसां क खातिर कान्हा,रात्यूॅं छाछ बिलोऊॅं रै।
मत फोडे रै-२ कानूडा़ घड़लो,म्हारा माखन को।
मत फोड़े रै।।३।।
सुसरा जी भी कान्हा म्हारा,बड़बड़ाता जावे रै-२
परण्यो म्हारो ऑंख्या खाडे,क्यूॅं लट्ठ बजवावै रै।
मत फोडे रै-२ कानूडा़ घड़लो,म्हारा माखन को।
मत फोड़े रै।।४।।
सखी रै सहेलियां म्हारी पल्ले,दमड़ी बांद ल्यावै रै-२
वो इठलाती बळखाती चाले,नखरा दिखावे रै।
मत फोडे रै-२ कानूडा़ घड़लो,म्हारा माखन को।
मत फोड़े रै।।५।।
माखन-मिश्री खावे तो कान्हा,म्हारी टपरी आजे रै-२
चौक पुराऊं चौकी लगाऊं,लूंदा भर-भर खाजे रै।
मत फोडे रै-२ कानूडा़ घड़लो,म्हारा माखन को।
मत फोड़े रै।।६।।
रचनाकार
नायक बाबूलाल ‘नायक’
टोंक (राजस्थान)
प्रस्तुति