हे कलम लिख!

💥💐कलम💐💥

हे कलम इतना लिख, लिख-लिख, इतना लिख,

मन में आए भाव लिख, विचार लिख, सत्कार लिख,

सत्य लिख, न्याय लिख, हे कलम इतना लिख!

 

प्रेम लिख, सदव्यवहार लिख, आस्था लिख, सद्भाव लिख।

न्याय लिख, मंगल लिख, अन्याय का, प्रतिकार लिख।

 

रीति लिख, नीति लिख, अनीति का प्रतिरोध लिख।

संवेदना मन के, उदगार लिख, सोच लिख, पहचान लिख।

 

रिश्तो की, जंजीरें लिख, आचार लिख, विचार लिख।

नियमों का, संचार लिख परंपरा की, पहचान लिख।

 

शासन लिख, प्रशासन लिख, निश-दिन, नवाचार लिख।

रिश्तों की पहचान लिख, नीति का बदलाव तो लिख।

 

हे कलम इतना लिख धर्म लिख अधर्म का प्रतिकार लिख,

आवाम का दु:ख-दर्द लिख, युक्ति लिख, प्रयुक्ति लिख।

 

जीवन की सार्थक सुक्ति लिख, सौहार्द लिख, परमार्थ लिख।

रहम लिख संयम लिख सांप्रदायिक सद्भाव तो लिख।

 

मंत्र लिख स्वतन्त्र लिख, सेवा का सद्मार्ग भी लिख।

रिद्धि लिख, प्रसिद्धि लिख प्रतिष्ठा का संबोधन लिख।

 

ज्ञान लिख विज्ञान लिख, विशिष्ट योग की सिद्धि लिख।

सृष्टि का विस्तार लिख, सहयोग लिख वियोग लिख।

 

मान लिख सम्मान लिख संयम का संयोग लिख।

लिख-लिख मानवता लिख, संगम का साकार तो लिख।

ख्याति लिख परामर्श लिख, हे कलम इतना तो लिख।

सूचना स्रोत

💖’नायक’ बाबूलाल नायक❤️

प्रस्तुति