लघुकथा
छूटी हुई उड़ान
भूमि कल सुबह से ही परेशान थी।
सारी तैयारी के बावजूद, कैब देर से आई, वह रास्ते में जाम मे फँस गई और एयरपोर्ट पहुँचने पर गेट बंद हो चुका था।
“आपकी फ्लाइट टेकऑफ कर चुकी है, मैम,”
काउंटर अधिकारी ने कहा-
“AI-247, दिल्ली से दुबई…”
भूमि वहीं फर्श पर बैठकर रो पड़ी। उसने माँ को फोन किया, “माँ… मेरी पहली इंटरनेशनल फ्लाइट छूट गई। मैं क्या करूँ ? माँ ने बस इतना कहा —”जो छूट गया है, वो भाग्य नहीं होता… वो भाग्य को बदलता है।” वह एयरपोर्ट से घर के लिए चल दी । तत्काल ही कुछ समय बाद न्यूज़ अलर्ट आया।
“AI-247 क्रैश — 241 यात्रियों की मौत की आशंका”
भूमि स्तब्ध रह गई।
अब उसके आँसू बह रहे थे… पर कारण बदल चुका था।
वह घर पहुँची, माँ ने कहा-
“जिसे तुम असफलता समझ रही थीं, वो ईश्वर की कृपा थी।”
“विश्वास की बची हुई साँसें, कभी-कभी मौत की भी मियाद बदल देती है।
रचनाकार
प्रस्तुति
डॉo छाया शर्मा, अजमेर राजस्थान