भूमिका
उत्तराखंड के प्रख्यात कवि श्री कृष्णदत्त शर्मा कृष्ण जीवन के हर पहलू और हर अवसर के लिए भावपूर्ण कविताएँ रचने में निपुण हैं। इनके शब्दों में गजब का जादू है जो दिल की गहराइयों को स्पर्श करता है। कोई भी पल खुशी का हो या दु:ख का, प्रेरणा की जरूरत हो या प्रेम की अभिव्यक्ति, इनकी कविताएँ हर भावना को जीवंत कर देती हैं। इनकी लेखनी संवेदनाओं का दर्पण है, जो न केवल शब्दों का संग्रह है बल्कि भावनाओं का संपूर्ण संसार है। इनकी कविताएँ सुनने वाला हर व्यक्ति खुद को उनके शब्दों में ढूँढ़ लेता है। यह इनकी क्षमताओं का असीम विस्तार ही है कि इनके संपर्क वाले कवियों तथा आमजनों ने इनको कविताओं की मशीन की उपाधि से अलंकृत किया है।
अवसर १
श्रद्धेय श्री अजय मलिक एवं श्रीमती संगीता मलिक की शादी को तैंतीसवीं वर्षगाँठ पर डॉ० सुशील कुमार त्यागी तथा अर्चना त्यागी द्वारा उन्हें शत-शत बधाई देते हुये
हृदयोद्गार

मुक्तक
आज तो मधुमास आकर लग रहा ज्यादा सुहाना।
संगीत को संगीतबद्ध कर संगीता गाती तराना।
‘संगीता’ जी गीत गातीं अजय हैं डूबे उसी में,
इस युगल ने है संजोया प्रेम का अनुपम खजाना।
संगीता जी और अजय मलिक की वर्षगांठ शादी की आई।
सात फेरों की याद मनोहर आज यहाँ आकर इठलाई।
तैंतीस वर्ष पूर्व जीवन में अजय घूमते थे एकाकी।
तभी प्रेम की ‘संगीता’ ने इन्हें दिखाई पावन झांकी।
झांकी पर हो मुग्ध अजय ने संगीता का गाया गाना।
पावन बंधन में बंधने को दोनों ने हृदय में झांका।
लेने फेरे सात मधुरतम बजवा दी सुन्दर शहनाई।
सात फेरों की याद मनोहर आज यहाँ आकर इठलाई।।१।।
पिता श्री हैं ओमप्रकाश जी माता पुष्पा नाम मनोहर।
पुष्प गिराये हैं आशीषी देवलोक से इनके सर पर।
‘नित्यारंजन’ भी द्यूलोकी ‘संगीता’ के पापा प्यारे।
आशीषों की लिये गठरिया रूप सूक्ष्म धार पधारे।
जयश्री मम्मी ने इन पर आशीषों को झड़ी लगाई।
सात फेरों की याद मनोहर आज यहाँ आकर इठलाई।।२।।
पति ‘फिलोरियन’ के संग बेटी शिवाक्षी मन में हर्षाती।
पापा-मम्मी को फ्रांस से श्रद्धा की पाती भिजवाती।
पुत्र आदित्य अंशी के संग शीघ्र एक अब हो जायेंगे।
अजय पिता संगीता माँ की छाया ये पावन पायेंगे।
ऋद्धि, सिद्धि और समृद्धि भी वर्षगांठ पर आ मुस्काई।
सात फेरों की याद मनोहर आज यहाँ आकर इठलाई।।३।।
अब परिवार मलिक की बिटिया आंशिक भी अंग बनेगी।
रंग बिरंगे अनुपम घर आ अपने नूतन रंग भरेगी।
स्वर्ण हीरक भी मने जयन्ती इस अवसर की अब जीवन में।
‘सुशील’, ‘अर्चना’ बधाई देकर हैं प्रफुल्लित अंतर्मन में।
मनोकामना पूरी होंगी यदि नहीं कोई हो पाई।
सात फेरों की याद मनोहर आज यहाँ आकर इठलाई।।४।।
मुक्तक
सुशील का परिवार पूरा आपको देता बधाई।
‘गार्गी’,’माधव’,’अंशिका’ ने श्रद्धा अपनी है दिखाई।
शत्याधिक वर्षी हो जीवन अर्चना संग करते अर्चन,
हो सुखी जीवन सदा ही हृदय से आवाज आई।।
दिनांक 21.01.2025
देहरादून
भेंटकर्ता एवं शुभाकांक्षी
सुशीला कुमार एवं परिवार
अवसर २
चिरन्जीवी प्रिय ‘मुदित’ एवं सौभाग्यशाली प्रिय ‘प्रियंका’ के पावन प्रणय बन्धन की मधुर वेला पर उनके नाना कृष्ण का स्नेह भरा
आशीर्वचन
मुक्तक
आज यह उत्सव मनोहर वर-वधु के प्यार का है।
पीढ़ियों तक जो रहेगा मिलन दो परिवार का है।
मिल रहा आशीष इनको और देते सब बधाई,
जिन्दगी भर जो बहेगी आगमन उस धार का है।
‘मुदित’ और ‘प्रियंका’ को है आशीषों से भरी बधाई।
नवल युगल पर कृपा अपनी देवों ने मिलकर बरसाई।
वासंती मौसम ने कलियाँ मोहक सी हैं आज खिलाई।
कौन यहां ऐसा प्रांगण में आँख न जिसकी है हर्षाई।
मात-पिता और बाबा के संग नाना का आशीष मनोहर।
नवल युगल की छवि अनूठी रही सभी को मोहित है कर।
नवल युगल पर कृपा अपनी देवों ने मिलकर बरसाई।।१।।
द्यूलोकी नानी ने आकर मुझको भावों में बतलाया।
सुनो मुदित के नाना मुझको युगल यह हृदय में भाया।
द्यूलोकी नानी दादी ने आशीषों की
झड़ी लगाई।
ऐसा लगता है प्रांगण में इक मोहक छाई अरुणाई।
आज बधाई इनको देने सब अपनों ने दौड़ लगाई।
नवल युगल पर कृपा अपनी देवों ने मिलकर बरसाई।।२।।
‘रमेश’ ‘कृष्णा’ पापा-मम्मी की प्रियंका नयनों का तारा।
जब जन्म हुआ बिटिया का सदा हृदय से उसे दुलारा।
देख विदाई बिटिया की अब स्नेह नीर नयनों से झरता।
खुशियों वाला दर्द विदाई सबको ही भावुक है करता।
हर मम्मी पापा जीवन की रही अमोली यही विदाई।
नवल युगल पर कृपा अपनी देवों ने मिलकर बरसाई।।३।।
‘मनीष’-‘मोहित मामा को तो मुदित रहा हृदय से प्यारा ।
‘रेनू-रश्मि’ मामी ने भी स्नेह भाव से मुदित दुलारा।
‘शैव्या’-‘सोनाक्षी’ बहना की ‘प्रियंका’ प्यारी सी भाभी।
‘दिव्यांक’ और ‘अनुज-विनायक’ ने भी पाई सुन्दर भाभी।
दून नगर, गुड़गाँव से ले भुवनेश्वर तक बजी शहनाई।
नवल युगल पर कृपा अपनी देवों ने मिलकर बरसाई।।४।।
खुशियों के आंगन में खेले सदा सदा ये युगल हमारा।
ऋद्धि-सिद्धि-सुख-समृद्धि सब आकर के भर दें घर सारा।
संजय-संजो पापा-मम्मी बाबा भगवत दिखें उमंगित।
नाना कृष्ण भी हृदय से हैं युगल देखकर महा तरंगित।
जीवन की मुस्कान मनोहर स्वयं यहां आकर मुस्काई।
नवल युगल पर कृपा अपनी देवों ने मिलकर बरसाई।।५।।
भेंटकर्ता
मनीष शर्मा, रेनू शर्मा, मोहित रश्मि मामा-मामा
आशीर्वाददाता
नाना कृष्णदत्त शर्मा कृष्ण
देहरादून
दिनांक – ०२.०२.२०२५
अवसर ३
चिरन्जीव प्रिय सार्थक और सौभाग्यकांक्षिणी प्रिय निहारिका के पावन प्रणय बन्धन की मधुर वेला पर उनके बाबा सन्तोषभूषण अग्रवाल और उनके ही समतुल्य बाबा कृष्ण का
आशीर्वचन
प्रिय सार्थक और निहारिका बंधे आज प्रणय बन्धन में।
आशीषों से भरी बधाई बरस रही इन पर प्रांगण में।
दो आत्माओं का यह बन्धन विवाह समय ही हो जाता है।
दो अनजाने परिवारों का मिलन सदा को हो जाता है।
पावन फेरे साथ लिये ये बन जाते जन्मों के फेरे।
यज्ञशाला की पावन अग्नि रहे साक्षी सांझ सवेरे।
नवल युगल के जीवन का यह मोड़ बड़ा रोचक होता है।
सदा एक पथ पर चलने का संकल्प बड़ा मोहक होता है।
एक दूजे को श्रद्धा और समर्पण उगता अन्तर्मन में।
आशीषों से भरी बधाई बरस रही इन पर प्रांगण में।।१।।
सन्तोष स्वयं बाबा के मुख पर सन्तोषी छाई अरुणाई।
आशीषों की महा पिटारी खोल आज उर से दिखलाई।
स्वयं शारदे दादी अम्मा देवलोक से भू पर आई।
रूप सूक्ष्म धारे फिरती आशीषों की झड़ी लगाई,
संदीप पिता व अंजना माता के नयनों की चमक निराली।
आज सार्थक दीख रही है इच्छा थी मन में जो पाली।
‘रिदम’ दुलारी छोटी बहना ने पाई भाभी जीवन में।
आशीषों से भरी बधाई बरस रही इन पर प्रांगण में।।२।।
आज अर्चना बुआ यहाँ पर नवल युगल लख झूम रही हैं।
द्यूलोकी फूफा ‘संतोष’ की मुदित आत्मा घूम रही है।
‘सूक्ष्म’ भइया और ‘त्रिशला’ भाभी गीत रहे गा सारेगामा।
अवयुक्त भांजा महा मनोहर गाता फिरता मामी मामा।
हर परिवारी के हृदय में नहीं स्नेह का पाया टोटा।
गुलावठी और जयपुर के संग नगर रहा दिख यहाँ पर कोटा।
आयुष माधुरी भैया भाभी ने पहुंचाया वृन्दावन में।
आशीषों से भरी बधाई बरस रही इन पर प्रांगण में।।३।।
‘निहारिका’ के पापा-मम्मी सुनील वन्दना वन्दन करते।
जो भी हैं मेहमान यहाँ पर सबका ही अभिनंदन करते।
‘तुषार’ भाई ‘स्नेहा’ भाभी के स्नेह भरा नयनों में भारी।
भैया भावुक होता पाया देख विदाई बहना प्यारी।
यह पावन घड़ियां ऐसी हैं सुखद नीर नयनों से बहता।
बिटिया को हर बार यादकर यादों में ही बहता रहता।
सुखी रहे जीवन भर बिटिया भाव यही उठते हैं मन में।
आशीषों से भरी बधाई बरस रही इन पर प्रांगण में।।४।।
मुक्तक
आज तो मधुमास यहाँ पर रंग बिरंगा आ गया है।
प्यार का पावन नशा सा आज मानो छा गया है।
कृष्ण व संतोष बाबा हो रहे पूरे उमंगित,
ये युगल आशीष इनका सर्वदा को पा गया है।
आशीष संग भेंटकर्ता
बाबा कृष्णदत्त शर्मा कृष्ण
आशीर्वाददाता
सन्तोष भूषण अग्रवाल (बाबा)
देहरादून
दिनांक-06.03.2025