अपनी पहचान खुद गढ़ो: समीर गुप्ता से सीख
दैनिक अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार मेरठ के साकेत निवासी समीर गुप्ता को हाल ही में दुबई इस्लामिक बैंक (केन्या) का नया सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारतीय प्रतिभाओं के लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक है।
समीर गुप्ता का सफर यह साबित करता है कि कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास और निरंतर कौशल-विकास से कोई भी अपनी अलग पहचान बना सकता है। उनका जन्म 1966 में पंजाब के फिरोजपुर में हुआ। सरकारी नौकरी में पिता के स्थानांतरण के कारण उन्हें अलग-अलग शहरों में शिक्षा प्राप्त करनी पड़ी। यही विविध अनुभव उनके जीवन का आधार बने।
दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीएससी करने के बाद उन्होंने ओयो स्टेट यूनिवर्सिटी से एमबीए पूरा किया। करियर की शुरुआत सिटी बैंक से करने वाले समीर ने अगले तीन दशकों तक मिडिल ईस्ट, एशिया और अफ्रीका के कई बड़े बैंकों में वरिष्ठ पदों पर कार्य कर अपनी क्षमताओं को साबित किया। अंततः उनकी मेहनत ने उन्हें दुनिया के प्रमुख इस्लामिक बैंकिंग संस्थान में सर्वोच्च नेतृत्व तक पहुंचा दिया।
युवाओं के लिए संदेश
कौशल ही सबसे बड़ा हथियार है – डिग्री एक दरवाजा खोलती है, लेकिन दरवाजे के पार सफलता कौशल और मेहनत ही तय करते हैं।
👉 उदाहरण: केवल कंप्यूटर साइंस की डिग्री लेने वाला छात्र तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक वह नई-नई प्रोग्रामिंग भाषाएँ सीखकर अपने कौशल को अद्यतन नहीं करता।
हर अनुभव से सीखें – समीर ने विभिन्न शहरों और देशों में रहकर विविध संस्कृतियों को समझा और हर नए अवसर को अपनी मजबूती में बदला।
👉 उदाहरण: यदि किसी युवक को छोटे कस्बे से महानगर में पढ़ाई का मौका मिलता है, तो उसे नए माहौल और लोगों से घबराने के बजाय उनसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए।
लगन और धैर्य जरूरी है – 30 साल का सफर यह बताता है कि ऊंचाइयां रातों-रात नहीं मिलतीं।
👉 उदाहरण: कोई खिलाड़ी तभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकता है जब वह वर्षों तक रोज अभ्यास करता है, चाहे बीच में कितनी भी असफलताएँ क्यों न आएँ।
वैश्विक दृष्टिकोण अपनाइए – आज के समय में करियर केवल देश तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अवसर खुले हैं।
👉 उदाहरण: यदि कोई इंजीनियर अंग्रेजी और किसी विदेशी भाषा को सीख ले, तो उसके लिए यूरोप, एशिया और अमेरिका में रोजगार की संभावनाएँ कहीं अधिक बढ़ जाती हैं।
अपनी अलग पहचान गढ़िए – भीड़ में अलग दिखने के लिए अपनी विशेषताओं को निखारना जरूरी है।
👉 उदाहरण: जब कोई कलाकार अपनी पेंटिंग्स में लोककला और आधुनिकता का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है, तो वह भीड़ से अलग पहचाना जाता है।
निष्कर्ष
समीर गुप्ता की उपलब्धि हमें यह याद दिलाती है कि सफलता विरासत या संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि निरंतर परिश्रम, सीखने की ललक और आत्मविश्वास का प्रतिफल होती है। यदि युवा अपने भीतर की क्षमताओं को पहचानकर उन्हें साधना शुरू करें, तो कोई भी क्षेत्र हो—वे अपनी एक अनोखी पहचान बना सकते हैं।
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