✍ भारतीय इतिहास के द्वंद्वों का साक्षी है खंडहर गुर्जर देव मंदिर

✍ भारतीय इतिहास के द्वंद्वों का साक्षी है खंडहर गुर्जर देव मंदिर

✍ भारतीय इतिहास के द्वंद्वों का

       साक्षी खंडहर गुर्जर देव मंदिर

भारतीय इतिहास में अनेक उतार-चढ़ाव आए हैं। यह इतिहास केवल राजाओं और युद्धों का नहीं, बल्कि समाज की जड़ों, संस्कृति की रक्षा, संघर्षों, विभाजनों और पुनर्निर्माण का भी है। ऐसे ही संघर्षों और द्वंद्वों का साक्षी है खंडहर गुर्जर देव मंदिर। यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि गुर्जर समाज की गौरवशाली परंपरा, सभ्यता, संस्कृति और उसके अस्तित्व की एक ऐतिहासिक गवाही है। इसके खंडहरों में समय की धूल ही नहीं, बल्कि आक्रांताओं द्वारा लांछित की गई पहचान की पीड़ा, विभाजित समाज की छाया, और फिर भी जीवित रहने का संकल्प निहित है।

▪ इतिहास का द्वंद्व और गुर्जर समाज की भूमिका

भारत में जन्मना जाति आधारित व्यवस्था और कर्म आधारित आध्यात्मिक वर्ण व्यवस्था को लेकर लंबे समय से विवाद चलता रहा है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से इन प्रश्नों को कई बार विवादास्पद रूप में प्रस्तुत किया गया। आक्रमण और प्रत्याक्रमणों के दौर में गुर्जर समाज ने अनेक बार अपने अस्तित्व की रक्षा की। किंतु समय के साथ उपजाति, संप्रदाय और धर्म के आधार पर विभाजन ने समाज की शक्ति को कमजोर किया।

आज आवश्यकता है कि वर्तमान गुर्जर समाज इन प्रश्नों का उत्तर स्वयं खोजे –

* भारत के इतिहास में गुर्जरों के योगदान को विवादास्पद क्यों बनाया गया?

* कौन-कौन से तत्व सुनियोजित रूप से गुर्जरों की पहचान और गौरव को दबाने का प्रयास कर रहे हैं?

* जाति आधारित विभाजन और कर्म आधारित धर्म व्यवस्था को समाज में किस प्रकार गलत रूप में प्रस्तुत किया गया?

इन प्रश्नों के समाधान का मार्ग केवल संगठित गुर्जर शक्ति है।

▪ गुर्जरों का ऐतिहासिक विस्तार – एशिया से भारत तक

गुर्जरों का इतिहास केवल भारत तक सीमित नहीं है। एशिया महाद्वीप में उनका विस्तार और प्रभाव व्यापक था। गुर्जरों के पूर्वजों में महान सम्राट शामिल हैं:

* कुषाण सम्राट कनिष्क, जिसने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया और संस्कृति का विस्तार किया।

* गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज, जिसने भारतीय भूभाग की रक्षा और प्रशासन में उत्कृष्ट योगदान दिया।

* सोमेश्वर और अनंगपाल तंवर, जिन्होंने सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का कार्य किया।

* अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान, जिन्होंने विदेशी आक्रमणों के बीच भारतीय गौरव की रक्षा की।

इनके योगदान से गुर्जरों का सांस्कृतिक साम्राज्य स्थापित हुआ। यही नहीं, देश-विदेश में गुर्जरों के नाम पर अनेक स्थल, क्षेत्र और ऐतिहासिक धरोहरें हैं। इन पर शोधपूर्ण, प्रामाणिक लेखन की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपने अतीत से प्रेरणा ले सकें।

▪ धरोहर संरक्षण और जागरण का आह्वान

खंडहर गुर्जर देव मंदिर जैसे स्थलों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। यह केवल पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि उस समाज की पहचान है जिसने इतिहास के कठिन दौरों में भी अपनी संस्कृति, धर्म और आत्मसम्मान को बचाए रखा। अतः आवश्यक है:

1. ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण और जीर्णोद्धार – स्थानीय प्रशासन और समाज मिलकर योजनाएँ बनाएं।

2. शोध और दस्तावेज़ीकरण – विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और समाज के युवाओं को इसमें शामिल किया जाए।

3. सांस्कृतिक पुनरुत्थान– परंपराओं, उत्सवों और गुरुओं की स्मृति में आयोजन किए जाएं।

4. संगठन और संवाद – उपजातियों में विभाजन से ऊपर उठकर एक मंच तैयार किया जाए।

5. शिक्षा और जागरूकता – इतिहास की सही जानकारी विद्यालयों, पुस्तकों, मीडिया और समाज में प्रसारित की जाए।

✅ संबंधित सुझाव

1. ऐतिहासिक शोध परियोजना

* गुर्जर वंशावली, युद्धों, स्थापत्य, परंपराओं पर शोध करके एक संकलित इतिहास पुस्तिका तैयार करें।

* पुरातात्विक स्थलों का डिजिटल नक्शा बनाएं।

* देश-विदेश में गुर्जर नाम से जुड़े स्थलों की सूची बनाकर संरक्षण अभियान चलाएं।

2. संगठित समाज निर्माण

* उपजातियों, संप्रदायों और धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर एक साझा मंच बने।

* युवाओं के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर आयोजित करें।

* महिलाओं और बच्चों को भी समाज निर्माण में शामिल करें।

3. संस्कृति और शिक्षा का प्रसार

* विद्यालयों में ऐतिहासिक व्यक्तित्वों पर विशेष पाठ्यक्रम बनाएं।

* लोकगीत, वंश परंपरा, कहानियों का संग्रह तैयार करें।

* डिजिटल मीडिया पर वीडियो, पॉडकास्ट और लेखों के माध्यम से जागरूकता फैलाएं।

4. धरोहर संरक्षण के लिए सहयोग

* मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए फंडरेज़िंग अभियान चलाएं।

* स्थानीय प्रशासन से समन्वय कर पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण योजनाएं बनाएं।

5. विवादों का समाधान

* समाज में चल रहे जाति, राजनीति, आर्थिक भेदभाव पर खुले संवाद आयोजित करें।

* सामूहिक निर्णयों और पारदर्शिता से नेतृत्व संरचना विकसित करें।

🙏 अंतिम संदेश

खंडहर गुर्जर देव मंदिर केवल अतीत की कहानी नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा है। यह हमें याद दिलाता है कि कठिनाइयों के बावजूद एक समाज अपनी पहचान को बचा सकता है, यदि वह जागरूक, संगठित और समर्पित हो। समय आ गया है कि हम अपने पूर्वजों की विरासत को न केवल संजोएं, बल्कि उसे पुनः प्रतिष्ठित करें।

जय श्री देवनारायण!

नमन देव चेतना, दिव्य राष्ट्र!

रचयिता

मोहनलाल वर्मा

संपादक, देव चेतना मासिक पत्रिका, जयपुर

पाठ्य विस्तार

प्रस्तुति