भूमिका
प्रस्तुत विवरण ग्राम पाठशाला अभियान में संलग्न टीम के एक मजबूत स्तंभ सरीखे स्वयंसेवी डी.एस.पी. लालबहार के द्वारा उन्हीं के शब्दों में प्रस्तुत है और इसी के बाद आगंतुक अतिथियों के भ्रमण को लेकर दोनों के अलग साक्षात्कार भी यदि हो सके तो वो भी श्री लालबहार जी के ही सहयोग से।
विवरण
कल का दिन हमारे लिए अत्यंत यादगार और प्रेरणादायक रहा। यह एक अनौपचारिक मूल्यांकनात्मक दौरा था, जिसका उद्देश्य गाँवों में चल रहे पुस्तकालयों की स्थिति और बच्चों की पढ़ाई की प्रगति का अवलोकन करना था। इसी क्रम में मैं, डी.एस.पी. लालबहार, अपने दल के साथ गनौली, चिरोडी और जावली गाँवों के पुस्तकालयों में पहुँचा।
इस अवसर पर हमें दिल्ली पुलिस की स्पैशल कमिश्नर ऑफ पुलिस श्रीमती छाया शर्मा मैडम और प्रख्यात शिक्षाविद श्रीमती अमृता मैडम का सान्निध्य प्राप्त हुआ। बच्चों के साथ उनका संवाद न केवल प्रेरक था, बल्कि उन्होंने बच्चों को भविष्य में बड़े अधिकारी बनने का सपना देखने की प्रेरणा भी दी।
मैडम ने बच्चों को परीक्षा में सफलता पाने के उपाय साझा किए और अपने छात्र जीवन में आए संघर्षों की कहानी सुनाई। यह सुनकर हर बच्चा अपने संघर्षों से जुड़ा हुआ महसूस कर रहा था। विशेषकर बेटियों के लिए यह अनुभव और भी प्रोत्साहक साबित हुआ।
एक बच्ची ने यह प्रश्न उठाया कि “गाँव में परिवार जल्दी शादी के लिए दबाव डालते हैं, उस समय हमें क्या करना चाहिए?”। इस पर मैडम ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा – “ऐसा मेरे साथ भी हुआ था। मैंने दो घंटे ज्यादा पढ़ाई शुरू कर दी, और मेरे घर वालों ने मेरी शादी की बात करना बंद कर दी।” इस सरल लेकिन सशक्त उत्तर ने विशेषकर बेटियों को गहराई से प्रभावित किया।
यह अनुभव हमें याद दिलाता है कि कई बार जवाब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्म और प्रेरणा से दिया जाता है। मैडम ने अपने कीमती समय में हमारे गाँवों के पुस्तकालयों तक आकर बच्चों का मार्गदर्शन किया, जिसके लिए मैं, पूरे दल और ग्राम पाठशाला टीम की ओर से, बच्चों, गाँववासियों और समस्त टीम की ओर से उनकी तहेदिल से आभार प्रकट करता हूँ। 🙏
अतिथियों के साक्षात्कार
इंटरव्यू: श्रीमती छाया शर्मा
(Special Commissioner of Police)
प्रश्न 1: मैडम, आज आप अचानक गाँवों के पुस्तकालयों में आईं। ऐसा अनौपचारिक दौरा करने का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: मेरा मुख्य उद्देश्य था बच्चों से प्रत्यक्ष संवाद करना और यह देखना कि हमारे गाँवों में चल रहे पुस्तकालय किस प्रकार बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रहे हैं। कभी-कभी औपचारिक दौरों से हमें बच्चों की वास्तविक समस्याएँ और उनकी आकांक्षाएँ समझ में नहीं आती।
प्रश्न 2: बच्चों के साथ संवाद कैसा रहा?
उत्तर: बच्चों के साथ बातचीत बेहद सुखद और प्रेरक रही। उन्हें मेरे अनुभव सुनकर और अपनी पढ़ाई में सफलता पाने के उपाय जानकर अच्छा लगा। खासकर बेटियों के लिए यह बहुत प्रेरणादायक था।
प्रश्न 3: आपने छात्र जीवन के संघर्ष का किस्सा साझा किया। इसका बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: बच्चों ने अपने संघर्षों को मेरे संघर्ष से जोड़कर देखा। जब मैंने उन्हें बताया कि मैंने अपने पढ़ाई के लिए समय बढ़ाया और दबाव के बावजूद अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया, तो उन्होंने इसे अपने जीवन से जोड़ा और प्रेरित हुए।
प्रश्न 4: एक बच्ची ने जल्दी शादी के दबाव पर सवाल पूछा। आपने क्या जवाब दिया?
उत्तर: मैंने कहा कि मेरे साथ भी ऐसा हुआ था। मैंने दो घंटे अतिरिक्त पढ़ाई शुरू कर दी और मेरे घर वालों ने मेरी शादी की बात करना बंद कर दी। यह उदाहरण बच्चों, विशेषकर बेटियों को यह समझाने के लिए था कि कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा और लक्ष्य पर ध्यान देना आवश्यक है।
प्रश्न 5: इस दौरे से आपको व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से क्या सीख मिली?
उत्तर: मैंने महसूस किया कि बच्चों के साथ प्रत्यक्ष संवाद करने से उनकी समस्याओं और आकांक्षाओं को समझना आसान होता है। यह अनुभव मुझे अपने कार्य में और अधिक संवेदनशील और प्रेरक बनने में मदद करेगा।
इंटरव्यू – श्रीमती अमृता बहल (प्रख्यात शिक्षाविद)
प्रश्न 1: मैडम, आपने बच्चों से संवाद करने के लिए अपने कीमती समय में यह दौरा क्यों किया?
उत्तर: मेरा उद्देश्य था बच्चों की पढ़ाई और उनके सपनों को समझना। मुझे लगता है कि गाँवों में पुस्तकालयों में बच्चों की पहुँच और उनका उत्साह देखना आवश्यक है।
प्रश्न 2: बच्चों ने आपके साथ कितना समय बिताया और किस विषय पर चर्चा की?
उत्तर: बच्चियों ने विशेष रूप से मुझसे लंबी बातचीत की। उन्होंने अपनी पढ़ाई, परीक्षाओं और भविष्य के सपनों के बारे में साझा किया। यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई कि बच्चे अपने लक्ष्य के प्रति इतने उत्साहित हैं।
प्रश्न 3: बच्चों के लिए प्रेरणा देने के आपके दृष्टिकोण में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?
उत्तर: मेरा मानना है कि बच्चों को अपने संघर्षों और कठिनाइयों के बावजूद आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने लक्ष्य पर ध्यान दें और किसी भी दबाव या परिस्थिति से विचलित न हों।
प्रश्न 4: आज के दौरे में सबसे यादगार पल क्या था?
उत्तर: जब एक बच्ची ने शादी के दबाव पर सवाल पूछा और श्रीमती छाया शर्मा ने अपने अनुभव साझा किए। यह पल बहुत प्रेरक था और बच्चों, खासकर बेटियों, को यह संदेश मिला कि शिक्षा और मेहनत से हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।
प्रश्न 5: आप इस दौरे से अपने दृष्टिकोण में क्या बदलाव महसूस करती हैं?
उत्तर: इस दौरे ने मुझे यह समझने में मदद की कि बच्चों के मार्गदर्शन में व्यक्तिगत संवाद कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुस्तकालय सिर्फ पढ़ाई का स्थान नहीं है, बल्कि यह बच्चों के सपनों और आत्मविश्वास का केंद्र बन सकता है।
सूचना स्रोत
श्री लालबहार जी
पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति