हिंदी दिवस राष्ट्रीय संगोष्ठी : संभावनाएँ और चुनौतियाँ

हिंदी दिवस राष्ट्रीय संगोष्ठी : संभावनाएँ और चुनौतियाँ

हिंदी दिवस राष्ट्रीय संगोष्ठी

संभावनाएँ और चुनौतियाँ

दिल्ली विश्वविद्यालय के भगिनी निवेदिता कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार, 23 सितंबर 2025 को एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था हिंदी भाषा की समृद्धि : संभावनाएँ और चुनौतियाँ

उद्घाटन सत्र

संगोष्ठी की शुरुआत भारतीय परंपरा के अनुरूप दीप प्रज्वलन एवं विश्वविद्यालय कुलगीत के साथ हुई। तत्पश्चात् कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रूबी मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा को सीखने में कोई प्रतिबंध नहीं है, किंतु हिंदी हमारी माँ है, और हम अपनी मातृभाषाओं में ही सोचते और समझते हैं। भारतीय भाषाओं की परस्पर संबद्धता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि ये भाषाएँ आपस में एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं।

विभाग प्रभारी डॉ. रीता नामदेव ने संगोष्ठी की संकल्पना एवं आयोजन की पृष्ठभूमि पर विस्तार से चर्चा की।

इसके बाद डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय, असम से पधारीं अतिथि वक्ता डॉ. जोनाली बरुआ ने हिन्दीतर प्रदेशों में हिंदी की स्थिति विषय पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी धमनियों में संचारित होने वाली भाषा है, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच सेतु का कार्य करती है। उन्होंने असम में हिंदी की वर्तमान स्थिति पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर उन्होंने प्राचार्या, विभाग प्रभारी और अध्यक्ष को असम की सांस्कृतिक गरिमा के प्रतीक गामोचा भेंट कर सम्मानित किया।

सत्र का वातावरण उस समय भावनात्मक हो उठा जब डॉ. बरुआ की 11 वर्षीय बेटी आयुषी को अध्यक्षता कर रही प्रो. सुधा सिंह का स्नेह आशीर्वाद मिला। नवरात्रि के शुभ अवसर पर उपस्थित यह कन्या वातावरण को मानो कामाख्या देवी के आशीर्वाद से सराबोर कर रही थी।

प्रथम सत्र

अध्यक्षता कर रही प्रो. सुधा सिंह (विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने हिंदी भाषा एवं साहित्य का वैश्विक संदर्भ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भाषा केवल संप्रेषण या व्यापार का साधन नहीं है, बल्कि उसमें निहित सांस्कृतिक मूल्य ही उसके विस्तार का आधार बनते हैं। हिंदी का प्रसार वैश्विक स्तर पर इन्हीं सांस्कृतिक मूल्यों के कारण संभव हुआ है। उन्होंने बल दिया कि हिंदी का और विस्तार तभी संभव है जब इसे भारतीयता का पर्याय मानकर अपनाया जाए।

द्वितीय सत्र

दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रो. अनिल राय (हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने की तथा मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. बली सिंह (हिंदी विभाग, किरोड़ीमल कॉलेज) उपस्थित रहे।

प्रो. बली सिंह ने कहा कि यदि विधिवत गणना की जाए तो हिंदी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने हिंदी भाषा और सोशल मीडिया विषय पर विचार रखते हुए सोशल मीडिया में बढ़ते इमोजी प्रयोग का विश्लेषण किया और अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. अनिल राय ने हिंदी भाषा में शोध की नवीन संभावनाएँ विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शोध कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है और शोधार्थियों को धैर्य के गुण को विकसित करना चाहिए। आज हिंदी भाषा में शोध की असीम संभावनाएँ उपलब्ध हैं, जिन्हें शोधार्थी अपने मौलिक विषय-चयन द्वारा और भी समृद्ध कर सकते हैं।

समापन सत्र

संगोष्ठी के अंतिम चरण में सत्र 2024–25 में विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। साथ ही छात्र पदाधिकारियों को प्रमाणपत्र एवं स्मृति-चिह्न भी भेंट किए गए।

अंत में विभाग प्रभारी डॉ. रीता नामदेव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए संगोष्ठी का औपचारिक समापन किया।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में भगिनी निवेदिता कॉलेज के शिक्षकगण, शोधार्थी तथा बड़ी संख्या में छात्राएँ उत्साहपूर्वक सम्मिलित हुईं।

सूचना सत्र

श्री राकेश छोकर

पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति