ग़ज़ल
मुद्दों से हम भटक रहे हैं
इक दूजे को खटक रहे हैं।
पकड़ नहीं पा रहे आप गति
बीच राह में अटक रहे हैं।
टांग खिंचाई हो रही यहाँ
मु्द्दे उठा झट पटक रहे हैं।
देख रहे हैं विष फैल रहा
हम प्यार समझ गटक रहे हैं।
मु्द्दे सब हुए हैं अब गौण,
बातों में ही झिड़क रहे हैं।
सच्चाई से हुए हैं दूर,
दवा झूठ की छिड़क रहे हैं।
सब करते विकास की बातें,
पर मुद्दे सब लटक रहे हैं।
बाल गीत
।।मुझको बात बताओ।।
दादू मुझको बात बताओ
क्यों होते दिन रात बताओ।
नभ में क्यों ये बिजली चमके,
क्यों बादल इतने है धमके।
बादल पानी कैसे लाते,
कैसे नभ में ये रह पाते।
क्या नभ में है कोई सागर,
या ले जाते भर भर गागर।
क्यों होती बरसात बताओ,
दादू मुझको बात बताओ।
सूरज क्यों दिन में ही आता,
चला कहाँ रातों में जाता।
कैसे छाते इतने तारे,
चमकें क्यों रातों में सारे।
चंदा क्यों लगता है प्यारा,
तारों से क्यों दिखता न्यारा।
क्यों होता प्रभात बताओ,
दादू मुझको बात बताओ।
क्यों होते लोगों में झगड़े,
क्यों मंदिर मस्जिद के रगड़े।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई,
रहते क्यों ना बनकर भाई।
जात पात का बंधन क्यों है,
भीड़ भड़क्का क्रंदन क्यों है।
कहां बसे भगवान बताओ,
दादू मुझको बात बताओ।
धरती को माता क्यों कहते,
जिस पर हम सब हैं रहते।
गायों की पूजा क्यों करते,
अन्य जानवर भी जब फिरते।
पहाड़ क्यों होते हैं ऊंचे,
हरियाली क्यों उनके नीचे।
बैठ मुझे ये सब समझाओ,
दादू मुझको बात बताओ।
जयकरी छंद
बाल कविता
।। फूल।।
प्यारे लगते मुझको फूल
रहते जो पौधों पर झूल।
तितली करती उड़ उड़ शोर
महक उड़ाते चारों ओर।
मन को भाते इनके रंग
देख जिन्हें रह जाता दंग।
कभी न लड़ते रहते साथ
ईश्वर का इन पर है हाथ।
खूब दिखा अपनी मुस्कान
रखते हैं जन-जन का मान।
नीले पीले गहरे लाल
खुश रहते सारे हर हाल।
लेता माली इनको तोड़
हार बनाता सबको जोड़।
खुशियाँ देता है भरपूर
नहीं नशे में रहता चूर।
मुक्तक
हमें जमीं पर अब साँच चाहिए
नहीं साँच को अब आँच चाहिए
जिससे हो भारत की बदनामी
नहीं हमें ऐसा नाॅच चाहिए।
नहीं किसी से तकरार चाहिए
ना मुजरिम हमें फरार चाहिए
देश में रहे कायम अमन चैन
इक दूजे पर एतबार चाहिए।
सजा धजा हिंन्दुस्तान चाहिए
देना सबको ही मान चाहिए
फिर भी ना माने गर आतंकी
तो पूरा पाकिस्तान चाहिए।
नहीं अंधेरी रात चाहिए
नहीं बेमतलबी बात चाहिए
विकसित बने ये राष्ट्र हमारा
बस विकास की बरसात चाहिए।
रचयिता
श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’
खेड़ा मलूका नगर, मालपुरा
प्रस्तुति