आगे बढ़ने के जुनून से जगती अलख
(एक समाजशास्त्रीय दृष्टि)
गुर्जर समाज की नई पीढ़ी आज शिक्षा के क्षेत्र में वह इतिहास लिख रही है, जो कभी समाज के पुरखों ने अपने सपनों में देखा था।
कशिश कसाना ने सांख्यिकी विभाग की प्रतियोगी परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त कर समाज को गौरवान्वित किया है। उनकी यह सफलता यह सिद्ध करती है कि यह समाज अपनी जड़ों से जुड़ा होते हुए भी आधुनिकता की ऊँचाइयों को छूने का सामर्थ्य रखता है।

कशिश की उपलब्धि ने ग्राम गनौली के बॉबी बैंसला और तुगलकाबाद के साहिल बिधूड़ी की यादें ताज़ा कर दी हैं — जिन्होंने अपने-अपने प्रतियोगी परीक्षाओं में रैंक वन प्राप्त कर समाज की प्रतिभा को नई पहचान दी।
बॉबी बैंसला वर्तमान में केंद्रीय पीएफ विभाग में कार्यरत हैं, जबकि साहिल बिधूड़ी का इसरो में चयन शिक्षा और अनुशासन की अटूट मिसाल है।
इन तीनों युवाओं की सफलता ने समाज में यह विश्वास दोहराया है कि दिशा सही हो तो हर समुदाय स्वयं अपना भविष्य गढ़ सकता है।
शिक्षा का दीप — ‘तथास्तु’ का संदेश

गाजियाबाद के शैक्षिक समूह ‘तथास्तु’ के संयोजक विकास नागर का कहना है —
“हमारा उद्देश्य केवल सफलता नहीं, बल्कि सजगता का प्रसार है। शिक्षा करियर का माध्यम नहीं, आत्मसम्मान और सामाजिक परिवर्तन का आधार है।”
समाजशास्त्र के प्रखर अध्येता डॉ. राकेश राणा इस विचार को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं —

“समाज की सरलता उसकी कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी पूँजी है। जो समाज सहजता से सीखता है, वही स्थायी विकास करता है।”
‘पे बैक टू सोसायटी’ — समाज को लौटाने की पहल
राजस्थान में शिक्षा की इस अलख को नई दिशा देने का कार्य ‘पे बैक टू सोसायटी’ अभियान के माध्यम से डॉ. गोपाल और प्रशांत जी कर रहे हैं।

उनका सिद्धांत सरल है —
“जिस समाज ने हमें पहचान दी, अब हम उसी समाज को नई दिशा देंगे।”
उनकी यह पहल केवल शिक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और आत्मसमर्पण का सशक्त प्रतीक बन चुकी है।
सुदर्शन गुर्जर सर — गौरव और प्रेरणा के स्तंभ
इसी प्रेरणा-पथ पर एक और उज्ज्वल नाम जुड़ता है — सुदर्शन गुर्जर सर का।

इंदौर गुर्जर गौरव कल्याण परिषद के संस्थापक श्री अशोक गुर्जर अपने भावों को इस प्रकार व्यक्त करते हैं —

“जब-जब समाज का कोई युवा परिश्रम और प्रतिभा से नई ऊँचाइयाँ छूता है, हृदय गर्व से भर जाता है।
चारखेड़ा (हरदा) की मिट्टी में जन्मे सुदर्शन जी ने इंदौर की धरती से अपने ज्ञान का प्रकाश पूरे देश में फैलाया है।
27 सितम्बर 2025 को उनका नाम India Book of Records में दर्ज हुआ —
‘Maximum Watch Minutes Achieved by a UPSC Educator on an Educational App’ के लिए।
उनके लेक्चर्स को अब तक 1000 मिलियन (100 करोड़ मिनट्स) से अधिक देखा गया है।
यह उपलब्धि केवल संख्या नहीं, बल्कि लाखों छात्रों के विश्वास की गूँज है।
सुदर्शन जी कहते हैं — “यह सफलता छात्रों के विश्वास और समाज के समर्थन का परिणाम है। मेरा उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से युवाओं के सपनों को साकार करना है।”
अब तक वे 100 से अधिक IAS और IPS अधिकारियों के चयन में प्रत्यक्ष योगदान दे चुके हैं।
वे इस युग के उन शिक्षकों में हैं, जो सिर्फ पढ़ाते नहीं — प्रेरित करते हैं।”
गाँव से लक्ष्य तक — एकल प्रयासों की गूँज
ग्राम पाठशाला अभियान के अंतर्गत असंख्य स्वयंसेवक शिक्षा का दीप जलाने में लगे हैं।
हरेंद्र जी (समर्पण एकेडमी, मुरैना), नमित भाटी जी, डॉ. कुलदीप जी (महुआ) — ये सभी अपने-अपने क्षेत्र में समाज के शैक्षिक उत्थान के प्रतीक हैं।
इसी क्रम में अंकित भाटी का “रोज़गार विद अंकित” अभियान उल्लेखनीय है, जिसके तहत करोड़ों रुपये मूल्य की प्रतियोगी पुस्तकों का वितरण ग्राम पाठशाला पुस्तकालयों को निःशुल्क किया जा चुका है।

अमर चौधरी जैसे शानदार एंकर अपनी प्रतिभा से समाज में नई ऊर्जा भर रहे हैं।
साथ ही ‘उम्मीद संस्था’ के अनिल बैंसला और देवेंद्र नागर पुस्तक दान अभियान के माध्यम से उन बच्चों तक ज्ञान पहुँचा रहे हैं जिनके पास संसाधन नहीं।
धन्य हैं वे दानदाता जो पुरानी पुस्तकों को बेचने की बजाय दान कर शिक्षा का आशीर्वाद बाँटते हैं।
इसी तरह के उदाहरण राजस्थान के दो परिवारों में देखने को मिलते हैं —
जहाँ तीन-तीन बेटियाँ डॉक्टर बनीं,
और जहाँ दो पुलिस कांस्टेबल्स ने अपने संकल्प से पीसीएस अधिकारी बनकर यह सिद्ध किया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं।
सजगता का संदेश — सरलता की रक्षा करें
इतने उजले उदाहरणों के बीच यह भी आवश्यक है कि समाज अपनी सरलता को अपनी शक्ति बनाए, कमजोरी नहीं।
कुछ स्वार्थी तत्व भोलेपन का उपयोग भावनाओं या राजनीति के लिए करते हैं।
इसलिए समय की पुकार है — शिक्षा, संगठन और आत्मनिर्भरता ही सच्चा उत्तर हैं।
निष्कर्ष
एक दीपक, अनेक दिशाएँ
आज गुर्जर समाज की यह शैक्षिक त्रिमूर्ति —
कशिश, बॉबी और साहिल,
साथ ही सुदर्शन गुर्जर जैसे ज्ञानदीप,
और विकास नागर, डॉ. राकेश राणा, डॉ. गोपाल, प्रशांत जी, अंकित भाटी जैसे प्रेरक व्यक्तित्व —
मिलकर समाज के भीतर एक नए शैक्षिक नवजागरण का निर्माण कर रहे हैं।
यह केवल सफलताओं की गाथा नहीं —
यह उस चेतना का पुनर्जागरण है जिसे पुरखों ने संकल्प रूप में बोया था।
आज वह चेतना दीपक बनकर जल रही है —
जो स्वयं भी उजाला है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी दिशा।
रचनाकार
राजीव – राकेश
पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति


