🌿 किशोर एवं किशोरियों के नाम — मेरा एक संबोधन
प्रिय युवाओं,
यह संसार तुम्हारे सपनों का नहीं, यथार्थ का संसार है। यह तुम्हारी कल्पनाओं से कहीं अधिक गहन, जटिल और अप्रत्याशित है। यदि तुम स्वयं अपने भविष्य के निर्माता नहीं बनोगे, तो कोई और तुम्हारे भविष्य की दिशा निर्धारित कर देगा।
जीवन उतना सरल नहीं है जितना वह प्रतीत होता है। किशोरावस्था का संसार मधुर कल्पनाओं से भरा है, परंतु जिम्मेदारियों का संसार उससे कहीं अधिक कठोर और यथार्थपरक है।
तुम फूल की तरह खिलना चाहते हो — पर क्या जानते हो कि उस फूल को पोषण कहाँ से मिलता है?
तुम पक्षी की तरह उड़ना चाहते हो — पर क्या जानते हो कि उड़ान के लिए पंखों में कितनी शक्ति चाहिए?
तुम सितारों-सी चमकना चाहते हो — पर क्या जानते हो कि उस चमक के पीछे कितनी ऊर्जा छिपी है?
तुम बड़े-बड़े सपने देखते हो — पर क्या जानते हो कि छोटे-छोटे सपनों को साकार करने में कितना परिश्रम लगता है?
स्त्री और पुरुष के बीच आकर्षण स्वाभाविक है, किंतु इस आकर्षण से उत्पन्न व्याकुलता को संयमित करना सीखना होगा।
तुम अनुभूतियों के दास नहीं, उनके स्वामी बनो।
तुम न्याय के वाहक बनना चाहते हो — तो पहले यह जानो कि न्याय और अन्याय का वास्तविक भेद क्या है।
हे किशोर और किशोरियों!
सपनों के संसार से बाहर आओ। अपनी तीव्र भावनाओं पर नियंत्रण पाना सीखो। हर कार्य का एक निश्चित समय होता है — पौधा धीरे-धीरे वृक्ष बनता है, तिनका-तिनका जोड़कर पक्षी अपना घोंसला बनाता है।
इसी प्रकार, जीवन भी धैर्य और क्रमबद्ध परिश्रम से बनता है।
पढ़-लिखकर यदि नौकरी न मिले, तो उसके विकल्प के लिए भी योजना बनाओ।
जो तुम्हें ज्ञात नहीं, उसे जानने का प्रयास करो — और यह सीखो कि सही जानकारी कहाँ से और कैसे प्राप्त करनी है।
अनायास किसी के प्रभाव में मत आओ। किसी व्यक्ति को समझने में समय लो।
और यदि तुममें किसी का सहारा बनने की सामर्थ्य नहीं है, तो किसी का सहारा बनने का भ्रम भी मत पालो — अर्थात विवाह से पूर्व स्वयं को आत्मनिर्भर बनाओ।
सबकी सलाह सुनो, परंतु अपने जीवन के अंतिम निर्णयों में अपने माता-पिता को अवश्य सम्मिलित करो।
वे तुम्हारे सच्चे शुभचिंतक हैं — तुम्हारा मार्गदर्शन उनका अनुभव करेगा, और तुम्हारा भविष्य उनकी प्रार्थनाओं से सुरक्षित रहेगा।
रचनाकार
मौसम सिंह
रामपुर मनिहारान
पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति



