हंसना नहीं है…..
बिना दांत दिखाए केवल मुस्कुराना है😀!
आज मन की सुई ‘पप्पू’ नाम पर अटक गई। आज ‘पप्पू’ भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय ‘ पवित्र जाप’ है। अब हमने भी ठान लिया ‘पप्पू’ नाम पर समुद्र मंथन करेंगे। सर्वप्रथम प्रश्न यही था ‘पप्पू’ शब्द की उत्पत्ति किस सभ्यता में हुई?
ऋग्वेद में ‘पप्पू’ की उत्पत्ति का कोई संकेत नहीं मिलता। वैसे आजकल गायत्री मंत्र से अधिक ‘पप्पू’ नाम का जाप हो रहा है। इस संदर्भ में पुराणों, उपनिषदों में भी कुछ अधिक सहायता नहीं मिली। खैर आज ‘पप्पू’ जाप समय की जरूरत है।
गूगल बाबा से ‘पप्पू’ नाम की जानकारी मांगी। इस मामले में गूगल बाबा भी बेवफा निकला। बस इतना बता पाया उत्तर भारत में सर्वाधिक पप्पू पाए जाते हैं।
मैं ‘पप्पू’ विषय पर सोच ही रहा था। एक मित्र राहुल शर्मा आ गए। मैंने पूछा आपके नाम का अर्थ क्या है? बोले ‘राहुल’ का अर्थ ‘कुशल’ है। मुझे तो ‘पप्पू’ नाम का खुमार चढ़ा था। मैं बोला क्या तुम्हें प्यार-दुलार से ‘पप्पू’ पुकारू? बोले, शेक्सपियर कहता है- “नाम में क्या रखा है? यदि गुलाब को किसी और नाम से पुकारे, सुगंध तो वो वैसी ही देगा।”
मैं बोला ऐसा मत बोलो ‘पप्पू’ जाप करने वाले निरुत्साहित हो जाएंगे। नाम बदलने के साथ-साथ अपने भारत मे गुण भी बदल जाते हैं। शेक्सपियर इंग्लैंड का था। हम फिलहाल भारत में है।
वार्तालाप चल ही रहा था। ब्लॉक कॉलोनी के कुछ लड़के आकर बोले “सर, कल हमारा फाइनल क्रिकेट मैच है। दूसरे टीम का एक लड़का बहुत अच्छा खेलता है। हमें कुछ टिप्स दे दो।”
मैं ‘पप्पू’ विषय में लीन था। मैंने कहा आज शाम से ही उसे लड़के को पप्पू.. पप्पू.. पप्पू.. पप्पू.. पप्पू.. कहना शुरू कर दो। यही एक ऐसा मंत्र है, जो आज के दौर में प्रभावी है। सभी प्रकार से अकाट्य हैं।
आज सुबह बच्चे जीत की मिठाई देकर गए। सबसे अच्छा खिलाड़ी शून्य पर आउट था।
हे ‘पप्पू’! तू अकाट्य मंत्र है! तू ही रस है! अलंकार है! तू तरकश की अमोघ शक्ति है।
सृजक

प्रस्तुति


