कविता – श्री दयाशंकर शर्मा जी

कविता – श्री दयाशंकर शर्मा जी

मैं जीवन से हार चुका हूँ…

ईर्ष्या द्वेष भरा है जीवन,
ज्यादा उधड़न कम है सीवन।
धीर-धीरे-धीरे-धीरे,
अपने मन को मार चुका हूँ।

मैं जीवन से हार चुका हूँ…

अपनों में अपना ना कोई,
जीवन में सपना ना कोई।
बीच भँवर में नौका मेरी,
छोड़ मगर पतवार चुका हूँ।

मैं जीवन से हार चुका हूँ…

कौन यहाँ जो मुझसे जीता,
पर मेरा अंतर्मन रीता।
मेरा मुझ से युद्ध हुआ तो,
ख़ुद ही ख़ुद को मार चुका हूँ।

मैं जीवन से हार चुका हूँ…

रचयिता
…dAyA shArmA

प्रस्तुति

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