तेरहवीं सदी में रोजर बैकन नामक एक दार्शनिक हुए। उनसे पूछा गया कि बुद्धिमान कौन होता है?
तो उन्होंने उत्तर दिया—“यह बताना कठिन है कि बुद्धिमान कौन है, परंतु यह बताना सरल है कि मूर्ख कौन है।”
उन्होंने उस समय के अनुसार मूर्खों की चार श्रेणियाँ बतायीं, जो निम्नवत हैं—
1. पहली श्रेणी
वह व्यक्ति जो शक्तिशाली के आगे समर्पण कर देता है; अन्यथा स्वयं शक्तिशाली बनने का प्रयास करता।
2. दूसरी श्रेणी
वह व्यक्ति जो बदहाली में होते हुए भी संतुष्ट रहता है; अन्यथा अपनी बदहाली दूर करने का प्रयास करता।
3. तीसरी श्रेणी
वह व्यक्ति जो किसी सामाजिक कृत्य (आजकल इसे धर्म कहा जाता है) को इसलिए करता है क्योंकि “यह पहले से होता आ रहा है”; अन्यथा वह उसमें वर्तमान समय के अनुसार संशोधन करता।
(यह वैसे ही है जैसा आज भी कुछ लोग मीठे पूड़े बनाकर पूजा करते हैं—सिर्फ इसलिए कि यह प्रथा चली आ रही है।)
4. चौथी श्रेणी
वह व्यक्ति जो किसी भी कार्य को इसलिए करता है क्योंकि “सब कर रहे हैं, इसलिए हम भी कर रहे हैं”; अन्यथा सत्य और तथ्य की कसौटी पर उसे परखकर निर्णय लेता।
अतः जो व्यक्ति इन चार श्रेणियों में नहीं आता, उसे बुद्धिमान कहा जा सकता है।
प्रस्तुति
इं. शेषराज सिंह पंवार
सहारनपुर
पाठ्य उन्नयन और विस्तार



