पुस्तक परिचय समीक्षा सहित
Bhagat Phool Singh:His Life & Works
आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रेरणा से स्वामी श्रद्धानंद के जीवन में जिस प्रकार अद्भुत परिवर्तन आया, उसी क्रम में स्वामी श्रद्धानंद से प्रेरित होकर हरियाणा के तपस्वी गृहस्थ संत भगत फूल सिंह ने भी शिक्षा और समाज सुधार का दीपक जलाने का संकल्प लिया।
गृहस्थ जीवन में रहते हुए नारी शिक्षा, समाज सुधार और मानव–मूल्यों के उत्कर्ष के लिए स्वयं को पूर्णत: समर्पित कर देने वाले भगत फूल सिंह ने आर्य समाज के कर्मठ पुरुष स्वामी श्रद्धानंद की ही भाँति अपने नाम को समाज सुधारकों की श्रेणी में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवाया।
विद्वान लेखक डॉ. महिपाल द्वारा रचित “Bhagat Phool Singh: His Life and Works” में भगत फूल सिंह के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व का विस्तृत, शोधपूर्ण एवं संतुलित चित्रण प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने उनके समर्पण, आस्था, सेवा, समाज सुधार, नारी–उत्थान तथा असाधारण निर्णय–क्षमता से जुड़े अनेक प्रसंगों का उल्लेख कर इस विकास–पुरुष की महत्ता को प्रखर रूप में उभारा है।

नारी शिक्षा के पुरोधा
गुरुकुलीय पद्धति पर आधारित भगत फूल सिंह महिला गुरुकुल की स्थापना कर उन्होंने नारी–उत्थान के एक नये युग की शुरुआत की। समय के साथ विकसित होकर यह संस्थान आज भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय (खानपुर, रोहतक, हरियाणा) के रूप में एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है, जो हज़ारों छात्राओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है। यह विश्वविद्यालय उनके सपनों और दूरदर्शिता का वास्तविक मूर्त रूप है।
व्यक्तित्व को समझाने वाली घटनाएँ
लेखक ने भगत जी के जीवन के अनेक प्रेरणादायक दृष्टांत प्रस्तुत किये हैं—
● एक परिवार में भाई द्वारा भाई की हत्या हो जाने पर भगत जी ने हत्यारे को पीड़ित परिवार के समक्ष आत्मसमर्पण की सलाह दी। परिवार ने क्षमा कर कहा—“एक भाई तो हमने खो दिया, दूसरे को क्यों खो दें।” यह घटना भगत जी की न्यायप्रियता एवं मानवीय दृष्टि का उत्कृष्ट उदाहरण है।
● दलितों के लिए अलग कुआँ खुदवाकर उन्होंने जातिगत ऊँच–नीच के विरुद्ध सशक्त संदेश दिया। इस पहल की *महात्मा गांधी* ने भी प्रशंसा की।
● दो परिवारों में क्रमशः पति और पत्नी की मृत्यु होने पर भगत जी ने दोनों शेष जीवनसाथियों के विवाह का प्रस्ताव रख उन्हें नया जीवन दिया—यह उनकी सामाजिक दूरदर्शिता का परिचायक है।
● पंचायत व्यवस्था को वे लोकतांत्रिक नैतिकता का आधार मानते थे और कहा करते थे—“पंचायत यदि भ्रष्ट हो गई तो कुछ भी नहीं बचेगा।”
चरित्र-निर्माण की अद्भुत कथा
आर्य समाज के सत्संग और स्वामी श्रद्धानंद की प्रेरणा से भगत फूल सिंह ने कदाचार, मिथ्या भाषण, रिश्वत और मांसाहार जैसे अवगुणों का परित्याग कर स्वयं को उच्चतम मानवीय मूल्यों का धनी बना लिया।
सर छोटूराम और मांडू सिंह मलिक जैसे शीर्ष राजनीतिक नेताओं के निकट होने के बावजूद उन्होंने कभी राजनीतिक लाभ नहीं लिया।
स्वामी दयानंद के कर्म–सिद्धांत से प्रेरित होकर वे अक्सर कहा करते—
“जैसा करोगे, वैसा भरोगे।”
लेखक की निष्पक्षता और शोधशीलता
विशेष उल्लेखनीय है कि लेखक डॉ. महिपाल किसी भी आर्य समाज संगठन से जुड़े नहीं रहे और भारतीय आर्थिक सेवा में एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में वर्षों पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
अपनी बेटी डॉ. मंजू पंवार (प्रोफेसर, BPS महिला विश्वविद्यालय) से मिलने के सिलसिले में विश्वविद्यालय में बार-बार आने से उन्हें भगत फूल सिंह के जीवन को समझने की प्रेरणा मिली।
उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश सहित अनेक आर्ष–ग्रंथों का अध्ययन किया, आर्य विद्वानों से वार्तालाप किया तथा विभिन्न स्रोतों से सामग्री एकत्र कर यह कृति तैयार की। विषय-वस्तु की गहराई और अध्ययन-गुणवत्ता इस जीवनी को किसी शोध–प्रबंध (PhD) से कम नहीं बनाती।
पुस्तक की शैली और प्रस्तुति
डिमाई आकार में सुंदर आवरण-सज्जा, भगत फूल सिंह का आकर्षक चित्र, व्यवस्थित भाषा, तथ्यसंगत प्रस्तुति और प्रवाहपूर्ण शैली इस पुस्तक को प्रभावशाली, प्रेरणादायक और पाठनीय बनाते हैं। अंग्रेज़ी में लिखी गई यह पुस्तक हिंदी अनुवाद के साथ और भी अधिक व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँच सकेगी।
पुस्तक का मूल्यांकन (Evaluation)
सकारात्मक पक्ष
* अत्यंत शोधपरक और तथ्यनिष्ठ लेखन।
* संतुलित, सहज और पठनीय भाषा।
* भगत फूल सिंह के जीवन को मानवीय, सामाजिक और आध्यात्मिक—तीनों स्तरों पर समझने के लिए समृद्ध सामग्री।
* उनके द्वारा किए गए नारी–उत्थान और समाज सुधार से जुड़े महत्त्वपूर्ण प्रसंगों का विस्तृत विवरण।
* प्रेरक जीवन-प्रसंगों के माध्यम से समाज सुधार के वास्तविक स्वरूप को समझाने का ईमानदार प्रयास।
कुछ और जोड़े जाने योग्य पहलू
* यदि हिन्दी संस्करण प्रकाशित हो जाए तो भारत के ग्रामीण, शैक्षिक और सामाजिक क्षेत्रों में इसका प्रभाव और व्यापक हो सकता है।
* भगत जी की शिक्षण-व्यवस्था, लोक–दर्शन और प्रशासनिक शैली पर अध्याय और विस्तृत हो सकते हैं।
समग्र रूप से यह पुस्तक एक संत, समाज-सुधारक और दूरदर्शी शिक्षा-पुरुष के जीवन का जीवंत दस्तावेज़ है—जो प्रेरित भी करती है और मार्गदर्शन भी देती है।
सूचना स्रोत
श्री महिपाल जी
पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति



