आज के लिए स्वसमीक्षा का सुविचार

आज के लिए स्वसमीक्षा का सुविचार

भूमिका

हम सब यह विचार अवश्य करें कि प्रतिवर्ष हम कुदरत के द्वारा दिए जीवन के कितने समय का सदुपयोग कर पाए। टोंक जनपद के मुकेश कुमावत मंगल ने बहुत गंभीरता के साथ प्रस्तुत आह्वान किया है।

आह्वान

अवश्य करें विचार कि

एक साल✌️

365 दिन,

12 माह ,

52 सप्ताह और

8760 घंटों में

हमारी क्या उपलब्धियां रहीं?

कौन-कौन से वादे

हमने 1 जनवरी को किए थे

जो पूरे हुए

और कौन-कौन से शेष रह गए?

सोचिए कि

कहीं हमने जीवन का एक साल

बिना कुछ किये यों ही तो नहीं गंवा दिया।

और!

फिर नये वादे, न‌ई कसमें खाने का समय आ गया।

आज

बीते वर्ष की ३१ तारीख को

कुछ समय निकालकर सोचें अवश्य।

और सोचें कि

जीवन का हर एक पल

कितना मूल्यवान है।

और! हमने एक

वर्ष यों ही निरर्थक गंवा दिया।

अतः केवल मात्र सोचें नहीं कुछ करें।

अधूरे कार्यों को पूरा करें, न‌वीन कार्यों की सूची व योजना बनाएं, समय का महत्व उनसे समझें जिनका कि पाॅंच मिनट की देरी से पेपर छूट गया, कुछ ही विलंब से किसी स्वजन की मृत्यु हो गई हो या फिर ट्रेन छूट गई हो।

तो फिर क्यों समय गॅंवाना?

नया साल, न‌ई उम्मीदें, नया जोश, न‌ई उमंग और नये लक्ष्यों के साथ न‌ये साल की शुरुआत की जाए समय के महत्व को समझकर। एक क्षण एक पल भी व्यर्थ न गंवाएं,

बाधाओं को दूर कर सफलता के मोती चुनते जाएं, तन मन को स्वस्थ बनाएं, स्वयं से वादे करें, अपने कर्मों से भाग्य के बंजर खेत को जोतकर, सींचकर प्रकाश और सफलता के सुमन खिलाकर उसकी खुशबू से अपने जीवन को महकाएं।

इस ध्येय के साथ अंग्रेजी का हो या कोई और पर हर नववर्ष मनाएं।

जय हिन्द, जय भारत।

कवि मुकेश कुमावत मंगल

टोंक (राजस्थान)