आशीर्वचन

आशीर्वचन

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प्रिय नन्दकिशोर एवं सौभाग्यवती श्वेता की शादी की चालीसवीं पावन वर्षगाँठ पर अंकल ‘कृष्ण’ का आशीर्वचन

नन्दकिशोर श्वेता बिटिया की वर्षगाँठ शादी की आई।

आज रहा लग देवभूमि के जन-जन ने दी इन्हें बधाई।

चालीस वर्ष पूर्व नन्द का सूखा-सा ही था निज जीवन।

एकाकी जीवन था खुद का नहीं कहीं भी लगता था मन।

स्वाति नक्षत्री बूंदों सी फिर श्वेता जीवन में आ बरसी।

इनकी भक्ति ही श्वेता बन देह रूप में आकर हर्षी।

फिर तो जीवन बना बसन्ती महक स्वयं ही दौड़ी आई।

आज रहा लग देवभूमि के जन-जन ने दी इन्हें बधाई।।१।।

 

वसन्त सदा सृजन करता है नई-नई कोंपल खिलती है।

स्वयं सुगन्ध बिखराती कलियाँ ये महकी सबको मिलती हैं।

‘अदिति’ एक कली मोहक-सी जीवन में आकर मुस्काई।

खुशियों का अम्बार स्वयं ही जीवन में भरती वो पाई।

कली ‘अदिति’ पुष्प बनी तो राहुल की बगिया महकाई।

आज रहा लग देवभूमि के जन-जन ने दी इन्हें बधाई।।२।।

 

सागर से ले ऋषिकेश तक आज हुई फूलों की वर्षा।

शादी वर्षगाँठ वर्षा में भीग यहाँ पर हर कोई हर्षा।

सात वचन सातों फेरों के ये दिन आकर याद दिलाता।

कभी भूल से अनबन आई ये दिन अनबन दूर भगाता।

स्वयं श्वेत वर्णा श्वेता है आज मगर छाई अरुणाई।

आज रहा लग देवभूमि के जन-जन ने दी इन्हें बधाई।।३।।

 

रूबी कहो या कहो ‘अदिति’ ये तो है प्यारी-सी गुडिया।

एक मोहक-सा पुष्प भेंटकर मुस्कायेगी अपनी बिटिया।

आज विदेशी भले बनी हो किंतु वो है सदा भारती।

मम्मी-पापा संस्कार से करती पाती रोज भारती।

ऋद्धि-सिद्धि सुख-समृद्धि की इन पर कृपा बरसी पाई।

आज रहा लग देवभूमि के जन-जन ने दी इन्हें बधाई।।४।।

मुक्तक

नन्द के आवास में ही श्वेत निर्मल गंग बहती।

स्वयं ही श्वेता है गंगा मात गंगे स्वयं कहती।

‘कृष्ण’ संग रामायण भी आशीष रस इन पर छिड़कती।

पुण्य का प्रताप बनकर श्वेता भक्ति स्वयं रहती।

दिनांक 09-05-2025

आशीषदाता

‘कृष्ण’ अंकल