आसमान

आसमान

विषय – आसमान

व्योम, आसमां और अम्बर,

नहीं है, इसे मापने के नंबर।

 

आसमां का न कोई आदि, मध्य, न अन्त है,

रात्रि में टिमटिमाते तारे इसमें अनन्त हैं।

 

दिन में सूरज, तो रात्रि में चंद्रमा आता है,

सूरज तपती धूप तो, चंद्रमा मधुर चाॅंदनी लाता है।

 

आसमान में अनन्त आकाशगंगाएं बहती हैं,

सारी दुनिया धरती को माॅं, आसमां को पिता कहती है।

 

दसों दिशाओं में आसमान का भी नाम है,

पंचतत्वों में धरती, अग्नि, वायु, जल, आसमां का स्थान है।

 

आसमान से पटका, धरती ने झेला, ऐसा लोग कहते हैं,

जिसका कोई नहीं हो सहारा, उसके भगवान होते हैं।

 

आसमान में विचरते, बादल वर्षा करते हैं,

धरती के ताल-तलैया, बांधों को सहज भरते हैं।

 

इस जग में निर्धन, असहाय व्यक्ति रहते हैं,

जो धरती को बिछौना, तो आसमान को ओढ़े रखते हैं।

 

आसमान की बातें अनोखी और निराली हैं,

ना कोई गति, ना कोई वृत्ति, बस खाली-खाली है।

रचनाकार

मुकेश कुमावत ‘मंगल’

रघुनाथपुरा टोंक।

प्रस्तुति