धीर सिंह जी का क्रांतिकारी संदेश
निर्धनता व रूढ़ियों को तोड़ ‘आर्थिक स्वतंत्रता’ की ओर बढ़ो
प्रस्तुति
गुर्जर प्रगति मंच (Gurjar Pragati Manch)
अजमेर में आयोजित जिला स्तरीय गुर्जर प्रतिभा सम्मान समारोह से, यह प्रेरणादायक संदेश गुर्जर प्रगति मंच द्वारा प्रसारित (Presented) किया गया है। वक्ता धीर सिंह जी ने समाज के युवाओं, अभिभावकों और वरिष्ठ सदस्यों को संबोधित करते हुए सफलता, सामाजिक सुधार और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए एक स्पष्ट दिशा दी। यह भाषण हर उस व्यक्ति के लिए एक चुनौती और आह्वान है जो अभावों को अपनी नियति मान चुका है।
🔑 भाषण के प्रमुख और गहरे विषय
(Key & Deep Themes of the Speech)
धीर सिंह जी ने अपने संबोधन में सफलता के केवल सतही सूत्रों की बात नहीं की, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया:
1. सफलता का मूल मंत्र: अवसरों को पकड़ो और चाहत 100% रखो
उन्होंने एक अरबपति के किस्से से शुरुआत करते हुए समझाया कि सफलता का रहस्य आने वाले मौकों को कभी न गंवाना है।
योजना का महत्व: उन्होंने युवाओं से सवाल किया कि आने वाले 4-5 सालों में वे कहाँ होंगे, यह उनकी आज की योजना (Current Planning) पर निर्भर करेगा।
अधूरी चाहत ही हार का कारण: धीर सिंह जी ने स्पष्ट किया कि जो लोग शिकायत करते हैं कि वे कड़ी मेहनत करने के बावजूद हार गए, उनकी हार का एकमात्र कारण उनकी अधूरी चाहत होती है। 100% चाहत रखने वाले को दुनिया की कोई भी प्रतिकूल परिस्थिति हरा नहीं सकती।
2. गरीबी नहीं, सपनों का मरना राष्ट्र के लिए खतरा
उन्होंने अपनी व्यक्तिगत संघर्ष कहानी (कक्षा 10वीं में ‘बाई ग्रेस’ पास होने) को साझा करते हुए बताया कि कैसे अभावों के बावजूद सफलता हासिल की जा सकती है।
सपनों का स्वाभिमान: उन्होंने ज़ोर दिया कि गरीबी या संसाधनों की कमी एक अलग चीज़ है, लेकिन अगर हमने सपने देखना छोड़ दिया, तो समाज और राष्ट्र दोनों खत्म हो जाएँगे।
ऐतिहासिक प्रेरणा: उन्होंने अब्दुल कलाम और अब्राहम लिंकन का उदाहरण दिया, जिन्होंने सीमाओं को नहीं, बल्कि सपनों के स्वाभिमान को देखा।
3. बेटियों के लिए ‘आर्थिक स्वतंत्रता’ का क्रांतिकारी आह्वान
यह भाषण का सबसे संवेदनशील और निर्णायक हिस्सा था। उन्होंने समाज की दयनीय तस्वीर दिखाते हुए सामाजिक रिवाजों में बदलाव की मांग की:
रूढ़ियों को तोड़ें: उन्होंने अभिभावकों से अनुरोध किया कि दहेज, झूठी परंपराओं और झूठी सामाजिक प्रतिस्पर्धा के नाम पर बच्चों, विशेषकर नन्ही बालिकाओं के सपनों को न तोड़ें।
सक्षम बनाओ: उनका स्पष्ट आह्वान था कि समाज को अब सिर्फ ‘बेटी पढ़ाओ’ नहीं, बल्कि “इन लड़कियों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने” की एक लड़ाई मिलकर लड़नी होगी। यह सामाजिक और आर्थिक उत्थान की कुंजी है।
4. ‘स्टील फ्रेम’ बनने के लिए संकल्प और संबल
धीर सिंह जी ने इस बात पर जोर दिया कि केवल नारे या लड़ाइयों से नहीं, बल्कि वर्तमान में समर्पण से राष्ट्र बनता है।
गरीब बच्चे को संबल: उन्होंने हर व्यक्ति से अनुरोध किया कि वह जहाँ भी है, अपनी पोजीशन से अगल-बगल के गरीब बच्चे या लड़की को संबल दे और कहे: “बेटा तू कर, हम तेरे साथ हैं।”
‘उम्मीद’ NGO द्वारा मदद: उन्होंने घोषणा की कि उनके ‘उम्मीद’ NGO और ‘अवनी एजुकेशन’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से, अभावग्रस्त छात्रों को शिक्षक भर्ती, IAS और RAS परीक्षाओं के लिए संपूर्ण कोर्स और गाइडेंस निःशुल्क प्रदान किया जाएगा।
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धीर सिंह जी के इस क्रांतिकारी और प्रेरणादायक संदेश को विस्तार से सुनने के लिए गुर्जर प्रगति मंच द्वारा प्रसारित यह वीडियो अवश्य देखें:

▶️ वीडियो लिंक: https://youtu.be/rgIsnUHYKRI
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