आत्मविश्वास का पुनर्जागरण

आत्मविश्वास का पुनर्जागरण

आत्मविश्वास का पुनर्जागरण

एक छोटे साहस का बड़ा सबक

जीवन में कई बार ऐसा क्षण आता है जब हम अपने ही प्रयासों पर संशय करने लगते हैं। परिस्थितियाँ जब अनुकूल नहीं दिखतीं, तब आत्मविश्वास डगमगाने लगता है और मन में यह विचार जन्म लेता है कि अब कुछ नहीं हो सकता। यही वह पल होता है जब हम भीतर से पराजित हो जाते हैं — बाहरी विफलता तो उसके बाद की परिणति मात्र होती है।

ऐसे ही एक प्रसंग में हर्ष और राजीव की कहानी प्रेरणा बन जाती है। दोनों एक प्रकाशन की उत्पादन इकाई में कार्यरत थे। उनके कार्य का दायित्व था — पुस्तकों की योजना से लेकर उसके अंतिम रूप तक का समुचित संचालन। एक दिन हर्ष को एक पुस्तक का सबमिशन शनिवार तक करना था। सारा काम पूर्ण हो चुका था, बस अंतिम स्वीकृति शेष थी। तभी उसके वरिष्ठ अधिकारी का फ़ोन आया — “पुस्तक का फ़ॉन्ट बदलवा दो।”

यह निर्देश सुनकर हर्ष अवाक् रह गया। वह जानता था कि फ़ॉन्ट बदलना मतलब फिर से त्रुटियों का सिलसिला, समय की बर्बादी और निश्चित रूप से सबमिशन में विलंब। उसका आत्मविश्वास उस क्षण लड़खड़ा गया। उसने राजीव से अपनी दुविधा साझा की। राजीव ने बिना देर किए कहा — “हर्ष, यह निर्णय अव्यवहारिक है। तुम एक मेल लिखो और कारण सहित फ़ॉन्ट परिवर्तन की असमर्थता स्पष्ट करो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।”

हर्ष ने वैसा ही किया। मेल भेजी गई और शीघ्र ही वरिष्ठ अधिकारी ने आदेश निरस्त कर दिया। पुस्तक अपने मूल स्वरूप में ही प्रस्तुत की गई। उस एक छोटे से साहसिक कदम ने न केवल कार्य को बचाया, बल्कि हर्ष के भीतर छिपे आत्मविश्वास को पुनर्जीवित कर दिया।

इस घटना में सबसे बड़ी सीख यही है कि आत्मविश्वास खोने की शुरुआत हमारे भीतर के संदेह से होती है, न कि बाहरी कठिनाइयों से। जब हम अपनी योग्यता पर भरोसा रखते हैं, तब परिस्थिति चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हो, समाधान निकल ही आता है। कभी-कभी केवल “न” कहने का साहस ही हमारे व्यक्तित्व को ऊँचाई देता है।

नकारात्मक प्रवृत्तियाँ — जैसे भय, संशय, या दूसरों की मनमर्ज़ी से संचालित होना — धीरे-धीरे हमारे आत्मबल को क्षीण करती हैं। इनके विरुद्ध सबसे बड़ा अस्त्र है स्पष्ट विचार और साहसी निर्णय। जिस क्षण हम अपने पक्ष में ईमानदारी से खड़े हो जाते हैं, उसी क्षण से हतोत्साह पर विजय आरंभ हो जाती है।

इसलिए जब अगली बार कोई स्थिति आपको असहाय महसूस कराए, तो याद रखिए — हर्ष की तरह एक स्पष्ट निर्णय और राजीव की तरह एक सच्चा सहयोगी, आपकी ऊर्जा को कई गुना बढ़ा सकता है। आत्मविश्वास किसी बाहरी वस्तु का उपहार नहीं, बल्कि आपके अपने साहस का प्रतिबिंब है। इसे बनाए रखना ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

संक्षिप्त संदेश

“हर चुनौती में एक अवसर छिपा है, बस उसे देखने के लिए आत्मविश्वास की दृष्टि चाहिए।”

आइडिया 💡

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