आदरणीय संपादक महोदय…
आदाब/नमस्कार
😊
दिनांक 15 अगस्त 2025, शुक्रवार, शाम 03 बजे शाम हाजी आदिल चौधरी मार्केट , लिसाड़ी गेट चोपला , मेरठ पर एक कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन होने जा रहा है……
*कृपया अपना कीमती समय निकाल कर इस काव्य गोष्ठी में तशरीफ़ लाएं और प्रोग्राम की गरिमा मैं इज़ाफ़ा फरमाएं…
प्रोग्राम की Coverage के लिए
कृपया अपने प्रतिष्ठित समाचार पत्र के स्थानीय प्रतिनिधि को भेज कर कृतार्थ करें.._🙏🙏❣️💕_
सादर अभिवादन एवं धन्यवाद.._
कन्वीनर :
इरशाद बेताब
एडवोकेट
9359550007.
कवि सम्मेलन मुशायरा
‘एक शाम देश के शहीदों के नाम’ का आयोजन
हमख़याल फाउंडेशन द्वारा 15. अगस्त 2025 हाजी आदिल चौधरी मार्केट , लिसाड़ी गेट चौपला, मेरठ पर हाजी आदिल चौधरी साहब की संरक्षता और एडवोकेट इरशाद चौहान के संयोजन में किया गया । इस अवसर प्रोग्राम के मुख्य अतिथि मेरठ बार एसोसिएशन मेरठ के अध्यक्ष श्री संजय शर्मा साहब रहे जिन्होंने सामाजिक समरता और भाईचारा बनाए रखने और एक दूसरे के साथ मुहब्बत से रहने पर ज़ोर दिया ।
कार्यक्रम की शुरुआत मेरठ बार एसोसियन के महामंत्री श्री रविंदर सिंह राणा जी द्वारा दीप प्रज्वलित करके की गई ।
कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट इरशाद बेताब ने किया ।
रचना वानिया ने पढ़ा कि
“मुक्तक”
जुल्म किसी का हम न सहेंगे, लेना होगा अब प्रतिकार।
धूल चटाकर ही दम लेंगे, वीरों की है यह ललकार।।
हमें सदा था सदा रहेगा,वीर सपूतों पर है नाज।
बहुत सह लिए अब न सहेंगे, दुश्मन तेरे अत्याचार।
नीतीश राजपूत ने पढ़ा कि
करूँ पूजा मैं मंदिर में या कह लो कि नमाज़ी हूँ।
कहो पंडित मुझे तुम या यूं कह लो कि मैं काज़ी हूँ।
मगर क्या फ़र्क़ दोनों में ख़ुदा जब एक है अपना,
मैं ईश्वर से भी सहमत हूँ, मैं अल्लाह से भी राज़ी हूँ।
पुष्पेंद्र बावरा ने पढ़ा कि
मैं भारत वर्ष का हरदम , अमिट सम्मान करता हूं ।
यहां की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूं ।।
मुझे चाहत नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की ,
तिरंगा हो कफन मेरा यही अरमान रखता हूं ।
इरशाद बेताब ने पढ़ा कि
अपने लोगों से कभी मुंह नहीं मोड़ा मैंने ।
बात कैसी भी हो रिश्ता नहीं तोड़ा मैंने ।।
हादसे यूं तो मेरी राह में आए लेकिन ।
हौसलों का कभी दामन नहीं छोड़ा मैंने ।।
तो श्रोताओं ने बहुत दाद दी ।
वसीम जहांगीराबादी ने पढ़ा कि
कम हौसले हुए न मेरे होंगे कम कभी ।
मुझ पर असर करेंगे न दहशत के बम कभी।
सर जिसम पर हमारे रहे या नहीं रहे।
घटने न देंगे शान तिरंगे की हम कभी ।
नीलोफर नूर ने पढ़ा कि
कहीं से ज़ख्मी कहीं से आधे जले मिलेंगे।
हमारी आंँखों के ख़्वाब सहमे हुए मिलेंगे।
यह शर्त रखी है पिछले ख़्वाबों को फूंक दें हम।
नई मिलेगी हयात सपने नऐ मिलेंगे।
डॉक्टर शुभी सक्सेना ने यूं पढ़ा कि
रोज इकरार थोड़े होता है ।
इश्क़ सौ बार थोड़े होता है ।
हो गया इश्क़ किसी से बस एक बार
हर एक से प्यार थोड़े होता है ।
जमशेद माहिर हापुड ने पढ़ा कि
इस दर्जा भी अदब के न सस्ते रहें चराग़ ।
शक्ल ए नियाज़ में ही जो बंटते रहें चराग़ ।
दोनों ज़बाने यूं ही मुनव्वर रहें सदा ।
उर्दू के और हिंदी के जलते रहें चराग़ ।।
पॉपुलर मेरठी साहब ने अपने हास्य में कहा कि
मैं हूं जिस हाल में ऐ मेरे सनम रहने दे ।
चाकू मत दे मेरे हाथ में कलम रहने दे ।
मैं तो शायर हूं मेरा दिल है बहुत ही नाजुक ।
मैं पटाखे से ही मर जाऊंगा बम रहने दे ।।
तो श्रोताओं को पेट पकड़कर हंसने पर मजबूर कर दिया
अंत में अध्यक्षता कर मशहूर कवि सत्यपाल सत्यम जी ने पढ़ा कि
कभी तुम भर्त्सना करते कभी तुम निंदा करते हो
तुम अपने फायदे को, मुर्दे को भी, जिंदा करते हो
तुम्हारा मान और अपमान सारे, देश का है अब
क्यों हल्की बात करके, देश को, शर्मिंदा करते हो ।
पढ़कर
अपनी कविता से सभी का दिल मोह लिया ।
प्रोफेसर युनुस गाजी , डॉक्टर जकी तारिक आदि ने अपनी शेरो-शायरी से श्रोताओं का दिल जीता।
मुशायरे के आयोजन में कनवीनर इरशाद ‘बेताब’ ने विशेष भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के दौरान शायरों ने प्रेम, समाज और जीवन की जटिलताओं पर आधारित ग़ज़लें पेश कीं।
मुशायरे का आयोजन शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ। आयोजकों ने श्रोताओं और शायरों का धन्यवाद ज्ञापित किया और आगे भी इस तरह के आयोजनों को निरंतर आयोजित करने का संकल्प लिया। इस मुशायरे में साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया और इसे एक सफल आयोजन के रूप में सराहा।
कार्यक्रम में पंडित दीपक शर्मा, यशपाल चौधरी एडवोकेट, शहर जमा खान एडवोकेट, अरशद सुल्तान, जीशान खान, अब्दुल कय्यूम एडवोकेट, वाजिद मेरठी आदि उपस्थित रहे ।
सूचना स्रोत
श्री इरशाद बेताब
प्रस्तुति