कार्यक्रम विवरण
दिनाक 14 अप्रैल को बाबा भीमराम अम्बेडकर जयन्ती के उपलक्ष्य में ग्राम गगौल (जनपद मेरठ, उत्तर प्रदेश) के जाटव समाज के नवयुवकों की पहल से नवनिर्मित अम्बेडकर भवन के उद्घाटन के साथ एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया, जिसमें सर्वसमाज की भागीदारी रही। जाटव समाज के बुजुर्ग, महिलायें, नवयुवक और किशोर सभी धन्यवाद के पात्र हैं इस आयोजन के लिए। विशेष रूप से जागरूक, कर्मठ, प्रगतिशील नौजवान रविकुमार, मनीष कुमार, सोनू कुमार, दीपक कुमार आदि के सभी का सहयोग लेकर इस कार्यक्रम की भव्यता में चार चाँद लगाए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान जविन्दर जाटव एवं संचालन एड० मनीष कुमार तथा रवि कुमार ने किया।
इसमें मुख्य वक्ता इन्जी सत्यपाल सिंह, हरेंद्र जाटव, प्रधान जगरूप सिंह, अभिषेक संगी, दीपक कुमार, सोनू कुमार, प्रधान महेंद्र दास, अजय कुमार, चेयरमैन ओमप्रकाश, सतीश फौजी, राजेश प्रधान, धनपाल मास्टरजी, जयकरण मास्टरजी, शैलेन्द्र सेन, डीलर राजपाल सिंह, राजू भाई आदि अनेक वक्ता रहे।
वक्ताओं के कथन एवं कथन सारांश
बाबा साहब की सोच व संघर्ष, शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो के साथ साथ बाबा साहब की अध्यक्षता में संविधान का निर्माण। इसी से मिला सभी दलित, पिछड़े, शोषित, दूबे कुचले अछूतों और समाज के अत्याचारों से सताये लोगों को वोट का अधिकार और यह अधिकार दिलाकर ही उन्होंने नागरिकों को समानता का हक दिलाया। देश चलेगा बाबा साहब के संविधान से। शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक सभी स्तरों पर सभी को समान अधिकार। यह था बाबा साहब का अनूठा बलिदान।
कार्यक्रम में नशाखोरी, कुरीतियों में दहेज और मृत्युभोज जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने पर विस्तार से चर्चा हुई। मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित जनचेतना मिशन के संस्थापक इंजीनियर सत्यपाल सिंह ने उपस्थित महानुभावों का आह्वान करते हुए कहा कि
“सुप्रभात एवं जय भीम साथियो!
आज हम सब यहां भारत रत्न, संविधान निर्माता और महान समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर एकत्र हुए हैं। यह दिन हमें समानता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों की याद दिलाता है।
आज, इस अवसर पर, हम एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल की बात करने आए हैं — समाज से दहेज प्रथा, मृत्यु भोज और नशा जैसी कुप्रथाओं को मिटाने की। यह पहल ई. सत्यपाल सिंह जी द्वारा आरंभ की गई है, जो निस्वार्थ भाव से समाज को दिशा देने में जुटे हैं।
साथियो! दहेज एक सामाजिक अभिशाप है, जिसने न जाने कितनी बेटियों की ज़िंदगियाँ निगल ली हैं। विवाह जैसे पवित्र संबंध को व्यापार बना दिया गया है। क्या यही है हमारे संविधान की आत्मा?
मृत्यु भोज, जो शोक का अवसर होना चाहिए, उसे दिखावे और फिजूलखर्ची का माध्यम बना दिया गया है। गरीब पर और बोझ, और अमीर की झूठी शान – क्या यह है सामाजिक समरसता?
और नशा – यह हमारी युवा पीढ़ी को अंधकार में धकेल रहा है। यह स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और चरित्र – तीनों को निगल रहा है। अब और नहीं।
आज, डॉ. अंबेडकर जी की प्रेरणा से, हमें संकल्प लेना है कि
– हम दहेज नहीं लेंगे।
– हम मृत्युभोज का बहिष्कार करेंगे।
– और हम नशे से दूर रहेंगे और दूसरों को भी बचाएंगे।
आइए, इस सामाजिक क्रांति में हम सभी भागीदार बनें और एक सशक्त, जागरूक और समतामूलक समाज का निर्माण करें।
जय भीम! जय भारत!”
सभी उपस्थितजनों ने शिक्षा व संस्कार पर बल दिया। बुराइयों को छोड़कर उच्च व आदर्श जीवन जीने का आह्वान किया।
प्रधान जविंदर ने उपस्थितजनों के समक्ष संकल्प लिया कि
“मैं, जविंदर जाटव, अपने ग्राम के प्रधान के रूप में यह पवित्र संकल्प लेता हूँ कि मेरे कार्यकाल में गाँव में अवैध रूप से बेची जा रही शराब पर पूर्णतः रोक लगाई जाएगी। यह न केवल हमारे समाज की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है, बल्कि सामाजिक वातावरण को भी दूषित कर रही है। मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मैं जाटव समाज से होने के बावजूद, कभी किसी भी प्रकार के नशे या दुर्व्यसन का सेवन नहीं किया है, और न ही इसे कभी समर्थन दिया है।
मेरी सोच हमेशा समाज के उत्थान और पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने की रही है। मैं चाहता हूँ कि हमारा गाँव नशामुक्त, शिक्षित और आत्मनिर्भर बने। यदि हमें समाज को सशक्त बनाना है, तो पहले हमें बुराइयों की जड़ पर प्रहार करना होगा, और अवैध शराब की बिक्री एक ऐसी ही जड़ है, जिसे जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।
इस कार्य में मैं न केवल प्रशासन से सहयोग लूंगा, बल्कि हर उस नागरिक से भी अपील करता हूँ जो अपने बच्चों और समाज का उज्जवल भविष्य चाहता है। आइए, हम सब मिलकर एक स्वच्छ, स्वस्थ और नशामुक्त गाँव की दिशा में कदम बढ़ाएं। यही मेरे प्रधान कार्यकाल की प्राथमिकता रहेगी, और इसके लिए मैं हर संभव प्रयास करूंगा।”
प्रधान जी ने सभी से इस पुनीत कार्य में सहयोग करने की अपील की।
चित्रशाला
सूचना स्रोत
श्री सत्यपाल सिंह जी (गगोल, मेरठ)
पाठ्य विस्तार
चैट जीपीटी
प्रस्तुति