अनकही अनुभूति
पाँचली से नमो भारत तक
(अमर शहीद कोतवाल धन सिंह जी की स्मृति में अशोक चौधरी का भावपूर्ण स्मरण)
नमो भारत ट्रेन में यात्रा करते हुए जब मेरी नज़र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) द्वारा लगाए गए उस पोस्टर पर पड़ी, जिसमें अमर शहीद कोतवाल धन सिंह जी को सम्मानपूर्वक स्मरण किया गया था, तो मन गर्व और भावुकता से भर उठा।
ट्रेन की तेज़ रफ्तार के बीच मैं लोगों के चेहरों पर देख रहा था–
यात्रा का आनंद, और अपने पूर्वजों के शौर्यपूर्ण कार्यों का गर्व। यह ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बाँधना मुश्किल है – यह आत्मा की गहराई तक उतरकर जीवन को अर्थ देता है।
स्मृतियों का कारवां – पाँचली 1998
बरबस ही मन 10 मई 1998 की उस सुबह में पहुँच गया, जब पाँचली की पावन धरती पर हमने पहली बार कोतवाल धन सिंह जी की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया था। उसी दिन वहाँ शहीद स्मारक की नींव रखी गई थी और पहली बार उनके चित्र का सार्वजनिक रूप से अनावरण हुआ था।
वह क्षण केवल एक कार्यक्रम नहीं था – वह स्वतंत्रता संग्राम के अमर गाथा को फिर से जीवंत करने का अवसर था। उस समय हमने जो दीप जलाया था, आज वह और अधिक उजाला फैलाते हुए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दे रहा है।
अनमोल साथी, अमर यादें
आज इस पोस्टर को देखकर मेरे मन में उन तीन साथियों की यादें उमड़ आईं –
श्री रमेश चंद्र नागर, नेहरू नगर मेरठ
श्री ऊधम सिंह भड़ाना, काजीपुर मेरठ
श्री धर्मवीर सिंह पोसवाल, मीनाक्षीपुरम मेरठ
जो उस प्रथम कार्यक्रम में हमारे साथ खड़े थे। समय के साथ वे हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन आज उनकी आत्माएँ निश्चित ही इस सम्मान को देखकर प्रसन्न होंगी। यह उनकी तपस्या और प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि आज कोतवाल धन सिंह जी का नाम नई पीढ़ी तक पहुँच रहा है।
पाँचली से नमो भारत तक – एक यात्रा
1998 में पाँचली से जो यात्रा शुरू हुई थी, आज वह नई ऊँचाइयों तक पहुँच चुकी है। नमो भारत ट्रेन में लगा यह पोस्टर केवल एक शहीद का स्मरण नहीं है, बल्कि उस संघर्ष, त्याग और सम्मान की यात्रा का प्रतीक है जिसे हमने मिलकर शुरू किया था।
आज जब लोग इस पोस्टर को देखते हैं, तो वे सिर्फ़ इतिहास नहीं पढ़ते – वे अपने पूर्वजों की आत्मा से जुड़ते हैं। और यही जुड़ाव हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
आइडिया
श्री अशोक चौधरी
पाठ्य परिवर्तन और विस्तार
प्रस्तुति