भूमिका
पिछले दिनों टीम उलझन सुलझन ने एक ऐसे युवा से बातचीत की, जिसने एक महत्वपूर्ण परीक्षा में सफलता हासिल की। जब टीम ने उससे पूछा कि उसने यह सफलता कैसे अर्जित की, तो उसने बताया कि उसने तैयारी के लिए किसी महंगे कोचिंग संस्थान का सहारा नहीं लिया, बल्कि नोएडा स्थित ग्राम कल्दा के सार्वजनिक पुस्तकालय का सहारा लिया। वहां पर तैयारी करने जाने से पूर्व उसको मालूम था कि उस पुस्तकालय में उसे ऐसा वातावरण मिलेगा, जहां पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना आसान होगा। वह वहां प्रतिदिन घंटों व्यतीत करता और अपनी तैयारी करता। पुस्तकालय में मौजूद विभिन्न प्रकार की किताबों और संसाधनों ने उसकी तैयारी को मजबूती दी।
सबसे खास बात यह थी कि वह अन्य छात्रों के साथ वहां पर चर्चा कर पाता था। इन चर्चाओं से उसे नई दृष्टि और विचार मिले जो परीक्षा की तैयारी में काम आए। उस युवा का मानना है कि कभी-कभी किसी विषय को बेहतर समझने के लिए साथी छात्रों के साथ विचार-विमर्श करना सबसे कारगर तरीका साबित होता है।
उसने यह भी कहा कि पुस्तकालय में अनुशासन और नियमितता का माहौल था, जिसने उसकी आदतों को और अधिक व्यवस्थित बना दिया। इस अनुभव ने उसे सिर्फ परीक्षा में सफल नहीं बनाया, बल्कि उसे जीवन में अनुशासन और सीखने की आदत को अपनाने का पाठ भी सिखाया।
इस बातचीत ने यह सिखाया कि संसाधनों की कमी को सफलता की बाधा नहीं बनने देना चाहिए। दृढ़ संकल्प और सही दिशा में मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
प्रतिभा का परिचय
साथियो! आज जो युवक हमारे साथ है वह हापुड़ जनपद के गाँव हसनपुर लोढ़ा से सचिन भारद्वाज डायमंड हैं जिन्होंने स्नातक स्तर तक शिक्षा प्राप्त की है तथा पॉलिटेक्निक शिक्षा
भी अर्जित की है। इनकी विशेषता है कि इन्होंने निःशुल्क लाइब्रेरी में पढ़कर ही माप दिया भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र तक का सफर।
यह युवक विगत दो वर्षों से कलदा लाइब्रेरी में दिन-रात एक करके जी-तोड़ पढ़ाई कर रहा था और आखिर इसे अपनी मेहनत का फल मिल ही गया। विविध लिखित प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के उपरांत उनका चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी में तकनीकी सहायक के पद पर हो गया है।
इतनी बड़ी संस्था में चयनित होकर सचिन ने साबित कर दिया है कि इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। आइए मिलते हैं सचिन भारद्वाज जी से जिनको संगी साथी डायमंड के नाम से जानते हैं।
बातचीत
प्रश्न १. सचिन जी रोजगार के लिए सेवा क्षेत्र में जाने के आपके निर्णयों लाइब्रेरी की आप क्या भूमिका मानते हैं?
उत्तर – “सरकारी नौकरी की परीक्षाओं की तैयारी में लाइब्रेरी की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही। घर में अशांत वातावरण होने के कारण लाइब्रेरी के शांत वातावरण में पढ़ाई अच्छी तरह हो पाती थी। लाइब्रेरी में दूसरे साथियों के कारण पढ़ाई करने का मोटिवेशन भी मिलता था।”
प्रश्न २. क्या आपके निकट कोई लाइब्रेरी नहीं थे? या इतनी दूर जाकर कल्दा में तैयारी करने के पीछे आपका क्या उद्देश्य था?
उत्तर – “कल्दा की लाइब्रेरी में जाने का एक महत्वपूर्ण फायदा यह था कि वहां साथियों के साथ परीक्षा उपयोगी विषयों पर ग्रुप डिस्कशन कर पाते थे जिससे हमारी जानकारी में और भी वृद्धि होती थी और यह परीक्षा में बहुत ही उपयोगी साबित हुआ।”
प्रश्न ३. भाभा में चयन उपरांत क्या आप संतुष्ट हैं या प्रतियोगी परीक्षाओं से आप और बेहतर अवसर के लिए प्रयास करेंगे?
उत्तर – “जी हां, मैं मेरे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में चयन से संतुष्ट हूं और इससे मेरे परिवार में भी काफी खुशी का माहौल है। इस संस्थान की एक खास बात है कि यह अपने कर्मचारियों को नौकरी के दौरान भी उच्च तकनीकी शिक्षा हासिल करने को काफी प्रोत्साहित करता है जिससे आगे का रास्ता और अधिक सुगम व उन्नत हो जाता है। इस संस्थान में चयन होना सिर्फ पहला पड़ाव है इसके बाद आगे भी और ऊंचाइयों तक जाना है और पढ़ाई हमेशा जारी रहेगी।”
प्रश्न ४. क्या आपको लगता है कि आपके अभिभावक आपकी इस सफलता से संतुष्ट हैं?
उत्तर – “जी हां, घर में खुशी का माहौल है और असफलताओं में भी घर वाले हमेशा मेरे साथ खड़े रहे।”
प्रश्न ५. कल्दा स्थित निःशुल्क लाइब्रेरी के बारे में आपका क्या नजरिया है?
उत्तर – “कल्दा लाइब्रेरी में सुविधा के साथ साथ वहां का वातावरण एवं प्रबंधन बहुत ही अच्छा है और हमेशा आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित करता है।”
प्रश्न ६. क्या कभी यदि आपको अवसर मिला तो आप जहां कहीं होंगे वहां पर लाइब्रेरी खोलने या खुलवाने के लिए प्रयास करोगे?
उत्तर – “जी हां, यह उद्देश्य ही रहेगा कि युवाओं में पढ़ाई और उससे जुड़े अवसर की जागरूकता लाई जाए।
आज के युवा पढ़ाई तो कर रहे हैं लेकिन उनको पढ़ाई से अवसर का सही मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ज्यादा से ज्यादा लाइब्रेरी खुलवाने का प्रयास रहेगा।”
प्रश्न ७. परंपरागत पुस्तकीय और वर्तमान डिजिटल लाइब्रेरीज में से आप किसको उपयुक्त मानते हो और क्यों?
उत्तर – “पुस्तकों की अपनी उपयोगिता है एवं डिजिटल माध्यम की अपनी उपयोगिता है। दोनों को कंपेयर नहीं कर सकते। परीक्षाओं में दोनों माध्यम ही उपयोगी हैं।”
सूचना स्रोत
श्री लालबहार एवं स्वयं डायमंड
प्रस्तुति
कभी भी ना भूलें