अपनी अपनी राह

अपनी अपनी राह

।। अपनी-अपनी राह।।

(16-04-2025)

मैं ईश्वर की परीक्षा का मारा हूँ, मैं सब लोगों से न्यारा हूँ,

मैं दीन-दुखियों का सहारा हूँ, मैं बच्चों की कश्ती का किनारा हूँ,

पर मुझसे जलन, ईर्ष्या रखने वाले, लोग मुझे कहां समझते,

मैं संघर्ष की कठिन राह पर चलनेवला, मात-पिता का दुलारा हूँ।

।। अपनी-अपनी राह।।

।।कड़वी बात पर सच्चाई।।

साहित्य-मनोभावों के साथ प्रकाशक, कैसा खिलवाड़ करते हैं?

नवोदितों को प्रलोभन देकर, आर्थिक जुगाड़ कर लेते हैं,

रचनाओं का प्रकाशन कर सम्मान पत्र के सब्ज़बाग दिखाकर,

नवोदितों के बनने से पहले ही, उनकी राह बिगाड़ देते हैं।

रचनाकार

कवि मुकेश कुमावत मंगल

टोंक

प्रस्तुति