बारिश के दिन

बारिश के दिन

बारिश के दिन

कागज की कश्ती को तैराने के दिन आ गए,

कल-कल बहते झरनों में स्नान के दिन आ गए,

अभी हमारे चारों ओर प्रकृति अनुकूल है इसलिए,

पेड़ लगाकर,प्रकृति का श्रृंगार करने के दिन आ गए।

किसानों के खेत जोतने के दिन आ गए,

व्यापारियों के खाद बीज बेचने के दिन आ गए,

आसमां में बादल छाए,सावन-सी झड़ी लगी है,

हाथ में छाता,तन पर रेनकोट पहनने के दिन आ गए।।

रिमझिम बारिश में भीगते स्कूल जाने के दिन आ गए,

घर पर बैठे गरम-गरम पकोड़े खानें के दिन आ गए,

चारों ओर ताल-तलैया पानी से तर-बतर नजर आते है,

स्टाफ के साथ मिल,पिकनिक मनाने के दिन आ गए।।

Happy friends covering themselves from rain drops

जल कुण्डो में मेंडक के टर्र-टर्र करने के दिन आ गए,

बागानों में कोयल की मधुर वाणी सुनने के दिन आ गए,

चारों ओर खलियानों में पंख फैलाए मोर नाचने लगे हैं,

हर शिवालय में ओम नमः शिवाय गाने के दिन आ गए।।

रचनाकार

मुकेश कुमावत ‘मंगल’

टोंक (राजस्थान)

छायाचित्र

गूगल से

प्रस्तुति