शौक पालने का महत्व

शौक पालने का महत्व

एक बार नौकरी के इंटरव्यू में मुझसे पूछा गया कि मेरे शौक क्या हैं? किताबों, फ़िल्मों का शौक तो सभी बताते हैं। मैंने सोचा कि कुछ अलग बताऊँ। मैंने कहा,…
🐤कहाँ खो गयी गौरैया?🐤

🐤कहाँ खो गयी गौरैया?🐤

🐤कहाँ खो गयी गौरैया? डाली-डाली नीम की खाली, कहाँ खो गयी गौरैया? चीं-चीं-चीं-चीं करती उड़ती, भूरी-चितकबरी गौरैया।। सूनी पड़ी अटारी मेरी, दाना-पानी अटा पड़ा।💧 नीड़ पुराना बना बनाया, छज्जों के…
बाँध ‘परिण्डा’ शुरुआत करें!

बाँध ‘परिण्डा’ शुरुआत करें!

बान्ध ‘परिण्डे’ डाली-डाली,चहक रही है,चिड़ियाँ काली। फुदक-फुदक कर,चीं-चीं-चीं करती,आँगन बीच रेत में नहाती। चोंच मारती, पंख खुजलाती, बैठ डाल पर, गीत सुनाती। कभी इधर उड़े, कभी उधर उड़े, तिनका-तिनका, ले…
💖नशे के जाल में उलझा हुआ है नौजवां मेरा💖

💖नशे के जाल में उलझा हुआ है नौजवां मेरा💖

नशीले  जाल  में  उलझा  हुआ  है नौजवां मेरा। भटकते आज मंजिल से, होगा हाल क्या तेरा? इन्हें  रास्ता  है  दिखलाना, यही  ईमान है मेरा। नशीले  जाल  से सुलझे, यही अरमान…
मैं मीठे गीत लिखूॅं कैसे?

मैं मीठे गीत लिखूॅं कैसे?

मैं मीठे गीत लिखूँ कैसे? आस्तीन में साँप मिले, फूलों में काँटे मिलते हैं। गंगा जल बहता नाली में, कीचड़ में पंकज खिलते हैं। शत्रु भाव से भरे हुए जो,…
दर्द से संवाद

दर्द से संवाद

भूमिका साथियो नमस्कार! आज मैं आप सबसे एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहा हूँ जो हम सभी के जीवन का एक हिस्सा है—दर्द। दर्द सिर्फ एक शारीरिक अनुभूति…
राजस्थान के बोल गीत रूप में

राजस्थान के बोल गीत रूप में

भूमिका राजस्थान की प्रख्यात कवयित्री मंजुला जी प्रस्तुत गीत में अपनी भाषा में भावों की अभिव्यक्ति से चमत्कृत करती हैं। आइए महसूस कीजिए गीत में निहित कल्पना, माधुर्य और भावों…
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी

मकर संक्रांति पर पतंगबाजी

मैं पतंग हूं तुम हो डोरी करता तुमसे सीना जोरी। हवा उड़ाती है जब मुझको दिक्कत आती है क्या तुझको। लूट मचाते लोग यहां सब। तुमसे है ये जीवन मेरा…
सर्दी की ऋतु – श्री केदार शर्मा जी

सर्दी की ऋतु – श्री केदार शर्मा जी

भूमिका कवि, स्तंभकार और व्यंग्यकार श्री केदार शर्मा जी का उलझन सुलझन के सर्वप्रथम योगदान के लिए उनका हार्दिक आभार। सर्दी की ऋतु का चला,  कुदरत में  अब राज। जीव…
यह ज़िन्दगी (कविता)

यह ज़िन्दगी (कविता)

भूमिका श्री मुकेश कुमावत 'मंगल' द्वारा रचित नवीनतम कविता 'यह ज़िन्दगी' जीवन के प्राकृतिक असंतुलनों को दर्शाती है। यह कविता जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्ष, और संतुलन की कमी को उजागर…