भूमिका
विभूतियों के कथन समाज के लिए सदैव ही अत्यंत प्रेरणादायक और लाभकारी होते हैं। ये हमें सिखाते हैं कि किसी भी सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत व्यक्ति से होती है। अगर हम समाज में अच्छाई, ईमानदारी और समृद्धि देखना चाहते हैं, तो हमें खुद उन मूल्यों को अपनाना होगा। ऐसे विचार न केवल व्यक्तिगत विकास को प्रेरित करते हैं, बल्कि सामूहिक रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का मार्ग भी दिखाते हैं। यदि हर व्यक्ति अपने हिस्से की जिम्मेदारी समझे और अपने कार्यों के माध्यम से बदलाव लाए, तो एक बेहतर समाज का निर्माण संभव है।
गौतम बुद्ध हों या फिर कोई और विभूति। उन्होंने जो भी कुछ कहा वह सब जीवन को अनुभूत करने के बाद का निष्कर्ष अर्थात निचोड़ रहा। महात्मा बुद्ध ने सही कहा कि इच्छा पूर्ति न होने से दु:ख होता है और दु:ख अनित्य है अर्थात् इच्छाएं भी रहेंगी और दु:ख भी। ठीक ऐसे ही सृष्टि में बुराई भी रहेगी और उस पर नियंत्रण करने के लिए या फिर उसके स्याह पक्ष को दर्शाने के लिए अच्छाई भी रहेगी। इसी को एक सिक्के के दो पहलू कहा जा सकता है। चयनित आपको और हमको करना है कि दोनों पक्षों को समझकर आप बुराई की ओर भी जा सकते हो और अच्छाई की ओर भी। सिक्का आपके हाथ में है और उसमें ही निर्णय लेने का अधिकार भी। आपके पास ही हैं निर्णयन संबंधी समस्त अधिकार। बस निर्णय करते वक्त यह अवश्य स्मरण रहे कि सही और गलत का ज्ञान आपको भी है और निर्णय जो भी होगा वह सिर्फ अपने संदर्भ में होगा परंतु समाज के संदर्भ मे अंतिम निर्णय समाज ही के अधिकार में है आपके नही।